क्या पेरेंट्स की मर्ज़ी के बिना कोर्ट मैरिज कर सकते हैं? – कानूनी जानकारी, प्रक्रिया और विकल्प

Can we do court marriage without the consent of parents – Legal information, process and options

भारत जैसे देश में जहां विवाह को पारिवारिक और सामाजिक बंधन के रूप में देखा जाता है, वहाँ बिना माता-पिता की अनुमति के शादी करना एक भावनात्मक और कानूनी चुनौती बन जाता है। लेकिन क्या कानून इसकी इजाज़त देता है? इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि क्या पेरेंट्स की मर्ज़ी के बिना कोर्ट मैरिज करना संभव है, किन नियमों का पालन करना होता है और कौन-कौन से विकल्प मौजूद हैं।

क्या कानून पेरेंट्स की मर्ज़ी के बिना शादी की अनुमति देता है?

हाँ, भारतीय कानून के अनुसार यदि लड़का 21 साल और लड़की 18 साल से ऊपर है, और दोनों की शादी स्वेच्छा से हो रही है, तो माता-पिता की सहमति जरूरी नहीं है।

यह विशेष रूप से स्पेशल मैरिज एक्ट , 1954 के तहत लागू होता है, जो दो बालिग व्यक्तियों को अंतर-धर्म या अंतर-जातीय विवाह की स्वतंत्रता देता है, बिना माता-पिता की सहमति के।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

कौन-कौन से विकल्प हैं?

आर्य समाज विवाह + मैरिज रजिस्ट्रेशन:

  • हिंदू, सिख, जैन या बौद्ध धर्म के कपल्स एक ही दिन आर्य समाज में शादी कर सकते हैं।
  • उसी दिन विवाह प्रमाणपत्र मिल जाता है, जिसे सरकारी रजिस्ट्रार से रजिस्टर कराया जा सकता है।
  • मुस्लिम या ईसाई व्यक्ति को इसमें शामिल होने से पहले हिंदू धर्म अपनाना पड़ता है।

दिल्ली में 2-स्टेप प्रक्रिया:

  • पहला दिन: आर्य समाज विवाह
  • 2-3 दिन बाद: कोर्ट में रजिस्ट्रेशन
  • दिल्ली सरकार का सर्टिफिकेट विदेशों में वीज़ा और इमीग्रेशन के लिए ज़्यादा मान्य होता है।

स्पेशल मैरिज एक्ट:

  • नॉन-रिलिजियस या अंतर-धर्म विवाह के लिए
  • शादी की सूचना रजिस्ट्रार ऑफिस में दी जाती है
  • 30 दिन का नोटिस लगता है
  • कोई आपत्ति न आने पर शादी कराई जाती है और सर्टिफिकेट मिलता है
  • कुल समय: लगभग 38–40 दिन
इसे भी पढ़ें:  हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कौन शादी रजिस्टर करा सकता है?

कोर्ट मैरिज के लिए ज़रूरी शर्तें

  • लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष
  • दोनों मानसिक रूप से स्वस्थ हों
  • शादी के समय दोनों अविवाहित हों (या विधिवत तलाकशुदा/विधवा)
  • कोई भी पार्टी दूसरे व्यक्ति के साथ शादी या लिव-इन में न हो
  • दोनों की सहमति हो (कोई ज़बरदस्ती नहीं)

किन मामलों में शादी शून्य (Void) या रद्द हो सकती है?

  • अगर किसी की उम्र कानूनी सीमा से कम है
  • जब दोनों में से कोई एक पहले से शादीशुदा हो
  • जब शादी ज़बरदस्ती या धोखे से करवाई गई हो
  • जब कोई मानसिक बीमारी साबित हो जाए
  • अगर धार्मिक रूप से शादी मान्य न हो (हिंदू मैरिज एक्ट में अनुष्ठान ज़रूरी)

क्या माता-पिता को सूचना देना जरूरी है?

नहीं, कानूनन बालिग व्यक्ति को अपनी मर्ज़ी से शादी करने का अधिकार है और उन्हें इसके लिए अपने माता-पिता को बताना अनिवार्य नहीं है।

हालांकि, स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत जब नोटिस बोर्ड पर चिपकाया जाता है, तो स्थानीय निवासियों को यह जानकारी मिल सकती है। यदि माता-पिता को विरोध है तो वे आपत्ति दर्ज करा सकते हैं, लेकिन अगर शादी सही प्रक्रिया में हुई है, तो कोर्ट इसे मान्यता देगा।

क्या कोर्ट मैरिज सुरक्षित होती है?

हाँ, कोर्ट मैरिज एक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त विवाह होता है:

  • रजिस्ट्रेशन और दस्तावेज का रिकॉर्ड होता है
  • दोनों की सहमति के आधार पर होता है
  • विवाह प्रमाणपत्र बाद में कई कानूनी कामों में मदद करता है (जैसे वीज़ा, पासपोर्ट, बैंक, जॉइंट प्रॉपर्टी आदि)

किन डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है?

  • उम्र का प्रमाण (जैसे आधार, पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट)
  • एड्रेस प्रूफ (जैसे राशन कार्ड, बिजली बिल)
  • फोटोग्राफ्स (पासपोर्ट साइज)
  • शादी का प्रमाण (आर्य समाज प्रमाणपत्र, अगर हो)
  • गवाह (दो या तीन)
इसे भी पढ़ें:  क्या 1 दिन में कोर्ट मैरिज हो सकती है?

क्या लीगल हेल्प जरूरी है?

कई बार विरोध, तकनीकी खामियाँ या दस्तावेज़ी परेशानी आने की संभावना रहती है, इसलिए एक विवाह कानून में विशेषज्ञ वकील की मदद से प्रक्रिया करना ज्यादा सुरक्षित और आसान होता है।

निष्कर्ष

यदि आप अपने पेरेंट्स की सहमति के बिना शादी करना चाहते हैं, तो भारतीय कानून आपको यह अधिकार देता है। बस आपको सही कानूनी प्रक्रिया अपनानी होगी और सभी ज़रूरी शर्तों को पूरा करना होगा। विवाह कानून की समझ, सही दस्तावेज़ और अनुभवी वकील का साथ – आपकी कोर्ट मैरिज को कानूनी रूप से वैध, सुरक्षित और सुचारू बनाता है।

अगर आप कोर्ट मैरिज से जुड़ी किसी भी जानकारी, सलाह या कानूनी सहायता की तलाश में हैं, तो लीड इंडिया से संपर्क करें। हम आपकी शादी को पूरी तरह कानूनी रूप से मान्य और सुरक्षित बनाते हैं।

FAQs

1. क्या पेरेंट्स की अनुमति के बिना कोर्ट मैरिज कानूनी है?

हाँ, यदि लड़का 21 वर्ष और लड़की 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो वे कानूनन अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकते हैं – माता-पिता की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।

2. बिना पेरेंट्स के कोर्ट मैरिज करने के लिए कौन सा कानून लागू होता है?

स्पेशल मैरिज एक्ट , 1954 के तहत बालिग व्यक्ति बिना परिवार की सहमति के भी शादी कर सकते हैं।

3. क्या स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करते समय माता-पिता को सूचना दी जाती है?

शादी का नोटिस रजिस्ट्रार ऑफिस में चस्पा किया जाता है, जिससे यह सार्वजनिक होता है। लेकिन पेरेंट्स की उपस्थिति या अनुमति जरूरी नहीं होती।

इसे भी पढ़ें:  कोर्ट मैरिज बनाम आर्य समाज मैरिज: कौन-सी शादी आपके लिए बेहतर है?

4. क्या आर्य समाज विवाह के बाद सीधे मैरिज सर्टिफिकेट मिल सकता है?

हाँ, आर्य समाज विवाह के तुरंत बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जिसे सरकारी विवाह रजिस्ट्रार से रजिस्टर कराया जा सकता है।

5. क्या बिना वकील के कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है?

कानूनन संभव है, लेकिन प्रक्रिया में कोई गलती या रुकावट न हो, इसलिए मैरिज लॉयर की मदद लेना बेहतर होता है।

Social Media