कल्पना कीजिए कि आप या आपके किसी करीबी ने ट्रेन से यात्रा की हो और दुर्भाग्यवश ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए। इस स्थिति में शारीरिक या मानसिक दर्द के साथ-साथ इलाज के खर्चे या नौकरी जाने का नुकसान भी बहुत बड़ा हो सकता है। ऐसे समय में कानून ने यात्रियों के लिए कुछ खास अधिकार और मुआवजे के तरीके बनाए हैं।
लेकिन असली समस्या ये है कि बहुत से लोग नहीं जानते कि मुआवजा कैसे मांगें या फिर कागजी कार्रवाई और कानूनी प्रक्रियाओं में उलझ जाते हैं।
इसलिए ये ब्लॉग उनके लिए लिखा गया है, जो दुर्घटना से प्रभावित हुए हैं या उनके परिवार वाले हैं। आइए, अपने अधिकारों को समझें और जानें कि किस तरह से आप कानूनी तौर पर अपने हक का मुआवजा पा सकते हैं।
ट्रेन यात्री के रूप में आपके कानूनी अधिकार क्या हैं?
एक यात्री के तौर पर, आपको भारतीय रेलवे एक्ट, 1989 के तहत सुरक्षा मिली हुई है। इस कानून में साफ लिखा है कि अगर ट्रेन का एक्सीडेंट हो जैसे पटरी से उतरना, टक्कर लगना या आग लगना, तो घायल यात्रियों या अगर किसी की मौत हो जाए तो उनके परिवार वालों को मुआवजा मिलेगा।
इसके अलावा, रेलवे एक्सीडेंट और अनहोनी घटनाओं (मुआवजा) नियम, 1990 और उसके बाद के बदलाव भी हैं। इन नियमों के मुताबिक, भारतीय रेलवे को प्रभावित यात्रियों को मुआवजा देना ही होता है, चाहे रेलवे की गलती हो या नहीं। इसे “नो-फॉल्ट लाइबिलिटी” यानी बिना गलती के जिम्मेदारी कहा जाता है।
कौन-कौन सी ट्रेन दुर्घटनाओं में मुआवजा मिल सकता है?
यहाँ कुछ ऐसी घटनाएं हैं जिनमें आप मुआवजे के लिए दावा कर सकते हैं:
- दो ट्रेनों की टक्कर
- ट्रेन का पटरी से उतरना (डेराइलमेंट)
- ट्रेन में आग लगना या धमाका होना
- चलती ट्रेन से गिरना
- रेलवे पटरी पार करते वक्त किसी गाड़ी से टकराना (कुछ मामलों में)
- आतंकवादी हमला या तोड़फोड़
लेकिन ध्यान रखें, अगर चोट या मौत आपकी खुद की लापरवाही, आत्महत्या की कोशिश, नशे की वजह से या बिना टिकट सफर करने की वजह से हुई है, तो मुआवजा नहीं मिलेगा।
यात्रा टिकट क्यों ज़रूरी है?
अगर आप मुआवज़ा चाहते हैं, तो सबसे पहले आपके पास एक मान्य टिकट होनी चाहिए। रेलवे उन्हीं यात्रियों को मुआवज़ा देता है जिन्होंने वैध टिकट लिया हो, चाहे वो जनरल, रिजर्वेशन, या ऑनलाइन टिकट हो। अगर आपके पास प्लेटफ़ॉर्म टिकट है या आप बिना टिकट यात्रा कर रहे थे, तो मुआवज़े का दावा कमजोर हो सकता है।
कौन मुआवज़ा दावा कर सकता है?
रेलवे दुर्घटना में मुआवज़ा पाने का हक निम्नलिखित व्यक्तियों को है:
- घायल यात्री: अगर आप दुर्घटना में घायल हुए हैं, तो आप मुआवज़ा के लिए दावा कर सकते हैं।
- मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी: यदि यात्री की मृत्यु हो गई है, तो उनके परिवार के सदस्य, जैसे पति/पत्नी, बच्चे, या माता-पिता, मुआवज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- अप्राप्त व्यक्ति या कानूनी प्रतिनिधि: यदि घायल व्यक्ति नाबालिग है या खुद से दावा नहीं कर सकता, तो उसका अभिभावक या कानूनी प्रतिनिधि उसकी ओर से मुआवज़ा दावा कर सकता है।
आपको कितना मुआवज़ा मिल सकता है?
मुआवज़े की राशि चोट या हानि की गंभीरता पर निर्भर करती है:
| स्थिति | मुआवज़ा राशि |
| मृत्यु | ₹8,00,000 (आठ लाख) |
| स्थायी विकलांगता (100%) | ₹8,00,000 |
| अंगों या इंद्रियों का नुकसान | ₹3,20,000 – ₹8,00,000 (हानि के प्रकार पर निर्भर) |
| अन्य गंभीर चोटें | ₹32,000 – ₹8,00,000 (चोट की प्रकृति के अनुसार) |
| चिकित्सा खर्च | बिल के अनुसार |
ध्यान दें: किसी भी एक व्यक्ति को कुल मिलाकर अधिकतम ₹8 लाख ही मिल सकते हैं, चाहे चोट के एक से अधिक प्रकार हों ।
स्टेप-बाय-स्टेप गाइड रेलवे से मुआवज़ा कैसे लें?
स्टेप 1: हादसे की जानकारी दें
- जैसे ही हादसा हो, तुरंत स्टेशन पर मौजूद रेलवे स्टाफ को या ट्रेन में टीटीई को जानकारी दें।
- नज़दीकी रेलवे पुलिस (GRP) या लोकल पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाएं।
स्टेप 2: ज़रूरी दस्तावेज़ इकट्ठा करें
आपको नीचे दिए गए डॉक्यूमेंट्स तैयार रखने होंगे:
- ट्रेन टिकट या पास (बहुत ज़रूरी)
- FIR की कॉपी
- मेडिकल रिपोर्ट या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (अगर मौत हुई है)
- पहचान पत्र (ID प्रूफ)
- मृत्यु प्रमाण पत्र (यदि यात्री की मौत हुई है)
- परिवार का सबूत (जैसे आधार, राशन कार्ड या अन्य जिससे रिश्ता साबित हो)
- चोट या दुर्घटना की फोटो (अगर उपलब्ध हो)
स्टेप 3: रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (RCT) में केस दर्ज करें
- RCT एक विशेष अदालत है जो रेलवे हादसों के मामलों को जल्दी सुलझाने के लिए बनाई गई है।
- अगर मामला मौत या गंभीर चोट का है, तो कोई कोर्ट फीस नहीं लगती। बाकी मामलो में मामूली फीस हो सकती है।
- दावा हादसे की तारीख से 1 साल के अंदर करना होता है। (अगर देरी हो जाए, तो सही कारण बताने पर मंज़ूरी मिल सकती है।)
स्टेप 4: क्लेम फॉर्म भरें
- आपको फॉर्म-II भरना होगा (यह फॉर्म RCT की वेबसाइट या नज़दीकी RCT ऑफिस से मिल जाता है)।
- यह फॉर्म सारे ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ अपने क्षेत्र के RCT ऑफिस में जमा करें।
- आप खुद भी केस फाइल कर सकते हैं, लेकिन अगर मामला थोड़ा पेचीदा हो तो वकील की मदद लेना बेहतर रहता है।
क्लेम फाइल करने के बाद क्या होता है?
रेलवे को नोटिस भेजा जाता है: रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (RCT) आपकी अर्जी मिलने के बाद रेलवे विभाग को नोटिस भेजता है, जिससे उन्हें पता चले कि आपके द्वारा मुआवज़े की मांग की गई है।
सुनवाई होती है (छोटी-सी ट्रायल): एक छोटी सुनवाई होती है, जिसमें आप या आपके वकील को यह साबित करना होता है कि:
- हादसा हुआ था
- आप ट्रेन में वैध यात्री थे (टिकट या पास था)
- जो चोट या मौत हुई, वो उसी हादसे की वजह से हुई
ट्रिब्यूनल का फ़ैसला: अगर ट्रिब्यूनल को लगता है कि आपके सभी दस्तावेज़ और बातें सही हैं, तो वो रेलवे को मुआवज़ा देने का आदेश देता है।
रेलवे को फिर तय की गई रकम आपको देना होता है – ये उनका कानूनी फ़र्ज़ होता है।
कितना समय लगता है? अमूमन ट्रिब्यूनल ऐसे मामलों को 6 से 12 महीनों के अंदर सुलझाने की कोशिश करता है।
अगर रेलवे आपका दावा (क्लेम) मानने से इनकार कर दे तो क्या करें?
कभी-कभी रेलवे आपके मुआवज़े के दावे को नकार सकती है, खासकर इन कारणों से:
- आपके पास मान्य टिकट नहीं था
- हादसा आपकी अपनी गलती से हुआ (जैसे चलती ट्रेन से कूदना)
- FIR या मेडिकल रिपोर्ट नहीं है
ऐसे मामलों में आपको थोड़ा मजबूत कानूनी कदम उठाना पड़ता है। क्या करें?
- सारे ज़रूरी दस्तावेज़ और सबूत अच्छे से इकट्ठा करें
- किसी अनुभवी वकील से सलाह लें
- अगर रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (RCT) ने आपका केस नाजायज़ तरीके से खारिज कर दिया है, तो आप हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं
रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (RCT) क्या है और इसका क्या रोल है?
RCT एक विशेष अदालत है
जो यात्रियों को जल्दी और आसान तरीके से मुआवज़ा दिलाने के लिए बनाई गई है। इसका काम है:
- मुआवज़े के मामलों को जल्दी सुलझाना
- यात्रियों को न्याय दिलाना, बिना ज़्यादा लंबी कानूनी प्रक्रिया के
- रेलवे की गलती पर यात्रियों को राहत देना
RCT में केस कहां दाखिल करें?
आप RCT में केस इन जगहों में से किसी एक पर फाइल कर सकते हैं:
- जहां हादसा हुआ
- जहां आप रहते हैं
- जहां आपका डेस्टिनेशन स्टेशन है
RCT के पास सिविल कोर्ट जितनी ताकत होती है, लेकिन यह यात्रियों के लिए ज़्यादा मददगार और सरल होती है। यहां प्रक्रिया आसान होती है और फैसला जल्दी आता है।
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: टिकट न मिलने पर भी मिल सकता है मुआवज़ा, 2025
अमीनसाब मुल्ला बनाम भारतीय रेलवे के मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर किसी हादसे के बाद मृतक के पास टिकट नहीं मिला, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसका मुआवज़ा का हक खत्म हो गया।
कोर्ट ने क्या माना?
- मृतक के पास टिकट नहीं मिला, लेकिन
- FIR, लोको पायलट (ड्राइवर) का मैसेज, और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसी दूसरी ठोस बातें पेश की गईं
- कोर्ट ने इन्हें पर्याप्त सबूत माना और मृतक के परिवार को ₹8 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश दिया (₹4 लाख + ब्याज)
यह फैसला क्यों जरूरी है?
- सिर्फ टिकट का न होना आपके हक को खत्म नहीं करता
- अगर आपके पास अन्य ठोस सबूत हैं, तो आप कानूनी रूप से अपना केस साबित कर सकते हैं
- हादसों के समय टिकट खो जाना आम बात है, इसलिए कोर्ट हालात को भी ध्यान में रखती है
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: टिकट न मिलने पर भी मिल सकता है मुआवज़ा, 2024
डोली रानी साहा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर यात्री के पास टिकट नहीं है, तो भी यह दावा करने से नहीं रोकता कि वह एक वैध यात्री था। यात्री को एक एफिडेविट दाखिल करना होता है, जिसके बाद रेलवे पर यह साबित करने की जिम्मेदारी आती है कि वह यात्री वैध नहीं था। अगर रेलवे ऐसा नहीं कर पाती, तो मुआवज़ा दिया जाएगा।
निष्कर्ष
ट्रेन हादसा एक बहुत ही दुखद अनुभव होता है, लेकिन ऐसे समय में कानून आपके साथ होता है। अगर आप या आपका कोई अपना इस तरह की दुर्घटना का शिकार हुआ है, तो आप मुआवज़ा पाने के हकदार हैं। यह मुआवज़ा आपको आर्थिक राहत दे सकता है और कठिन समय में सहारा बन सकता है। बहुत से लोग सिर्फ जानकारी की कमी के कारण दावा नहीं कर पाते, आप ऐसा न करें। हादसे के बाद बिना देर किए किसी अच्छे वकील से सलाह लें, ज़रूरी दस्तावेज़ इकट्ठा करें और समय रहते क्लेम फाइल करें। यह आपका अधिकार है, और आप इंसाफ़ के हक़दार हैं।
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FAQs
1. क्या बिना टिकट यात्रा करने पर भी मुआवज़ा मिल सकता है?
सामान्यतः नहीं। लेकिन यदि यह साबित हो जाए कि आप ट्रेन में थे और हादसे में घायल हुए, तो कुछ मामलों में कोर्ट राहत दे सकता है।
2. ट्रेन में हुई चोट के लिए मुआवज़ा कैसे मिलता है?
वैध टिकट, मेडिकल दस्तावेज़ और रिपोर्ट के आधार पर RCT में क्लेम किया जा सकता है।
3. रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में केस जीतने में कितना समय लगता है?
औसतन 6 महीने से 2 साल लग सकते हैं, केस की जटिलता पर निर्भर करता है।
4. ऑनलाइन IRCTC टिकट में मिलने वाला बीमा कितना कवर देता है?
₹0.49 में ₹10 लाख तक का कवर – मृत्यु, विकलांगता और आंशिक चोटों के लिए।
5. अगर किसी की मौत हो जाए तो परिवार को कितना मुआवज़ा मिलेगा?
मृत्यु पर ₹8–10 लाख तक मुआवज़ा दिया जाता है, टिकट व बीमा की स्थिति पर निर्भर करता है।



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