भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में जब कोई कपल जाति, धर्म या सामाजिक प्रतिबंधों से ऊपर उठकर विवाह करता है, विशेष रूप से कोर्ट मैरिज के जरिए, तो अक्सर उन्हें अपने ही परिवार या समुदाय से धमकियों, मानसिक उत्पीड़न या शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नवविवाहित जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस प्रोटेक्शन लेना उनका संवैधानिक अधिकार है।
पुलिस प्रोटेक्शन क्या है और क्यों ज़रूरी है?
कोर्ट मैरिज के बाद यदि किसी कपल को उनके परिवार या समाज से जान का खतरा हो, तो वे स्थानीय प्रशासन या न्यायालय से सुरक्षा की मांग कर सकते हैं। यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दी गई है, जो हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
पुलिस प्रोटेक्शन क्यों जरूरी है:
- ऑनर किलिंग जैसी घटनाओं से बचाव के लिए
- मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए
- नवविवाहित जोड़े को स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार दिलाने के लिए
- संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने हेतु
“जीवन साथी चुनना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है।” — सुप्रीम कोर्ट, शैफीन जहाँ बनाम असोकन के.एम., 2018
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले जो पुलिस सुरक्षा को समर्थन देते हैं
1. शक्ति वहिनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, 2018
इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ऑनर किलिंग के बढ़ते मामलों को गंभीरता से लेते हुए कहा:
“सम्मान के नाम पर हत्या संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। कोई पंचायत या परिवार यह तय नहीं कर सकता कि कौन किससे विवाह करेगा।”
साथ ही कोर्ट ने राज्यों को निर्देशित किया कि वे ऐसे कपल्स को तत्काल पुलिस सुरक्षा प्रदान करें।
2. लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 2006
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“अंतरजातीय या अंतरधार्मिक विवाह राष्ट्रहित में हैं, और इन पर सामाजिक दबाव डालना या धमकी देना पूरी तरह से अवैध है।”
इस फैसले में भी पुलिस को कपल्स को सुरक्षा देने का निर्देश दिया गया।
3. शैफीन जहाँ बनाम असोकन के.एम., 2018
यह मामला केरल की एक युवती के विवाह से जुड़ा था, जिसे उसके पिता ने जबरन अलग करने की कोशिश की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया:
“बालिग व्यक्ति को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने का अधिकार है और इसमें किसी को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है।”
4. अंजना मिश्रा बनाम ओडिशा राज्य, 2005
“राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करे।”
पुलिस प्रोटेक्शन के लिए आवेदन कैसे करें? स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया
1. विवाह प्रमाण पत्र तैयार करें:
कोर्ट मैरिज के बाद विवाह प्रमाण पत्र की प्रति तैयार करें और दोनों पक्षों के माता-पिता को भेजें ताकि वे विवाह की कानूनी स्थिति से अवगत रहें।
2. स्थानीय थाना (SHO) को सूचित करें:
- एक लिखित आवेदन तैयार करें जिसमें विवाह की जानकारी और खतरे की आशंका स्पष्ट रूप से दर्ज हो।
- आवेदन के साथ विवाह प्रमाण पत्र की प्रति संलग्न करें।
- आवेदन को व्यक्तिगत रूप से या डाक द्वारा थाना अध्यक्ष को सौंपें।
3. पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय में आवेदन दें:
यदि स्थानीय थाना कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो आप जिले के पुलिस अधीक्षक को लिखित आवेदन दे सकते हैं।
4. हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल करें:
- संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आप हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं।
- इसमें पुलिस को सुरक्षा देने का निर्देश देने की मांग की जाती है।
5. इंटीमेशन लेटर भेजें (वकील के माध्यम से):
- यह एक कानूनी सूचना पत्र होता है जो वकील द्वारा तैयार किया जाता है।
- इसमें विवाह की जानकारी, धमकियों की प्रकृति और सुरक्षा की मांग होती है।
- इसे संबंधित थाना, एसपी ऑफिस, महिला आयोग और माता-पिता को भेजा जा सकता है।
इंटीमेशन लेटर में क्या होना चाहिए?
- पति-पत्नी का नाम, पता और संपर्क जानकारी
- विवाह की तारीख और प्रमाण पत्र की प्रति
- किससे खतरा है और किस प्रकार की धमकियां मिल रही हैं
- किस-किस संस्था को पत्र भेजा गया है
कहां-कहां भेज सकते हैं?
- दोनों पक्षों के माता-पिता
- स्थानीय पुलिस थाना
- जिले का एसपी कार्यालय
- राज्य महिला आयोग (विशेषकर यदि लड़की को खतरा हो)
कानूनी अधिकार जो आपकी रक्षा करते हैं?
| अनुच्छेद | विवरण |
| अनुच्छेद 14 | कानून के समक्ष समानता का अधिकार |
| अनुच्छेद 19 | अभिव्यक्ति और आंदोलन की स्वतंत्रता |
| अनुच्छेद 21 | जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार |
| अनुच्छेद 226 | हाई कोर्ट द्वारा रिट जारी करने का अधिकार |
“पुलिस का कर्तव्य है कि वह व्यक्ति की सुरक्षा करे, न कि सामाजिक परंपराओं की रक्षा।” — सुप्रीम कोर्ट
निष्कर्ष
कोर्ट मैरिज करने वाले कपल्स के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि वे अकेले नहीं हैं। संविधान, सुप्रीम कोर्ट और कानून उनके साथ खड़े हैं। यदि उन्हें किसी भी प्रकार की धमकी, सामाजिक बहिष्कार या हिंसा का खतरा हो, तो वे पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत सुरक्षा की मांग कर सकते हैं। यह कोई विशेषाधिकार नहीं बल्कि हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
“सम्मान के नाम पर की गई हत्या, कानून नहीं बल्कि सामाजिक नैतिकता का पतन है।” — सुप्रीम कोर्ट, शक्ति वहिनी केस, 2018
“कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से हो, उसे अपनी मर्ज़ी से शादी करने और सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार है।” — जस्टिस दीपक मिश्रा
कोर्ट मैरिज सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और समानता के अधिकार को जीने की अभिव्यक्ति है। यदि आप इस राह पर हैं, तो अपने अधिकारों को जानिए, उनका प्रयोग कीजिए और ज़रूरत हो तो कानूनी सुरक्षा लेने से न झिझकिए।
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FAQs
Q1. क्या विवाह प्रमाण पत्र के बिना भी सुरक्षा मिल सकती है?
विवाह प्रमाण पत्र आपकी शादी को वैधानिक प्रमाण देता है, लेकिन खतरे की स्थिति में आप बिना प्रमाण पत्र के भी आवेदन दे सकते हैं। हालांकि, प्रमाण पत्र होने से प्रक्रिया में पारदर्शिता और वैधता बनी रहती है।
Q2. अगर पुलिस आवेदन स्वीकार न करे तो क्या करें?
ऐसी स्थिति में आप हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं और पुलिस को सुरक्षा देने का निर्देश मांग सकते हैं।
Q3. क्या महिला आयोग से भी सहायता मिल सकती है?
हां, यदि महिला को विशेष रूप से धमकी या उत्पीड़न का डर हो, तो महिला आयोग को भी इंटीमेशन भेजा जा सकता है।
Q4. क्या पुलिस सुरक्षा के लिए किसी शुल्क की आवश्यकता होती है?
नहीं, यह आपकी संवैधानिक सुरक्षा का हिस्सा है और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
Q5. क्या इंटीमेशन लेटर के बिना भी पुलिस सुरक्षा मिल सकती है?
मिल सकती है, लेकिन इंटीमेशन लेटर होने से आवेदन की गंभीरता और कानूनी वैधता साबित होती है।



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