भारत के फैमिली लॉ में सबसे अक्सर पूछा जाने वाला सवाल यही है कि शादी रद्द होने के बाद क्या मेन्टेनेंस या एलिमनी ली जा सकती है। बहुत लोग सोचते हैं कि अगर शादी रद्द (वोयड या वोयडेबल) हो गई, तो शादी से जुड़े सभी अधिकार, जैसे मेन्टेनेंस खत्म हो जाते हैं।
लेकिन भारतीय कानून में ऐसा नहीं है। कानून मानता है कि शादी रद्द होने से सिर्फ शादी की कानूनी स्थिति बदलती है, लेकिन उस पति या पत्नी के अधिकार, जो वित्तीय रूप से निर्भर है, खत्म नहीं होते, खासकर जब न्याय और निर्भरता का सवाल हो।
इस ब्लॉग का मकसद है कि हम समझाएँ कि ऐसे मामलों में कानूनी अधिकार क्या हैं, कौन-कौन से कानून लागू होते हैं, और इसे आसान उदाहरणों के साथ समझाएँ ताकि हर कोई आसानी से समझ सके।
एनुलमेंट का मतलब क्या है?
एनुलमेंट का मतलब है कि कोर्ट द्वारा शादी को अवैध या रद्द घोषित किया जाना। वोयड मैरिज ऐसी शादी जिसे कानून के नजरिए से कभी अस्तित्व में ही नहीं माना जाता (जैसे बायगेमी या निषिद्ध रिश्ते) । वोयडेबल मैरिज तब तक वैध मानी जाती है जब तक कोर्ट इसे रद्द न करे (जैसे सहमति की कमी, मानसिक अक्षमता)।
एनुलमेंट के कारण
1. हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 (धारा 12)
- सहमति वैध नहीं थी (जबरदस्ती, धोखा, मानसिक अस्थिरता)
- शर्तें पूरी नहीं हुईं (जैसे कि एक से ज्यादा शादी करना, निषिद्ध रिश्ते में शादी)
- शादी पूरी नहीं हुई किसी अक्षमता के कारण
2. स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954
- सहमति से जुड़ी समस्या
- एक से ज्यादा शादी (Bigamy)
- निषिद्ध रिश्तों में शादी
क्या शादी रद्द होने के बाद मेन्टेनेंस ली जा सकती है?
हां, लेकिन यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है लोग अक्सर सोचते हैं कि शादी रद्द होते ही पति या पत्नी का मेन्टेनेंस का अधिकार खत्म हो जाता है। यह सही नहीं है कोर्ट ने बार-बार स्पष्ट किया है कि शादी रद्द होने के बाद भी पति या पत्नी हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 या स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा37के तहत मेन्टेनेंस या एलिमनी मांग सकते हैं।
अगर शादी शुरुआत से ही अवैध घोषित की गई हो, तब भी कोर्ट न्याय और आर्थिक निर्भरता को ध्यान में रखते हुए स्थायी एलिमनी या मेन्टेनेंस दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की स्पष्टि:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 11 के तहत रद्द हुई शादी में पति या पत्नी को धारा 25 HMA के तहत स्थायी मेन्टेनेंस/एलिमनी लेने का अधिकार है।
- कोर्ट प्रक्रिया के दौरान धारा 24 HMA के तहत अंतरिम मेन्टेनेंस भी दी जा सकती है।
नोट: मेन्टेनेंस का अधिकार अपने आप नहीं मिलता। हर केस में यह देखा जाता है कि पति या पत्नी कितने आर्थिक रूप से निर्भर हैं, दोनों का व्यवहार कैसा था, रिश्ता कितना लंबा था, और न्यायसंगत स्थिति क्या है।
शादी रद्द होने की प्रक्रिया के दौरान मेन्टेनेंस (अंतरिम राहत)
शादी रद्द करने की याचिका लंबित होने के दौरान, निर्भर पति या पत्नी अंतरिम मेन्टेनेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 या स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 37 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर पति/पत्नी अदालत से मेन्टेनेंस मांग सकते हैं।
- इसका मकसद यह है कि पिटीशनर को बिना आर्थिक सहायता के छोड़कर वह अपनी जीवनयापन या कानूनी खर्च नहीं झेलें।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 के तहत भी पति/पत्नी सीधे मजिस्ट्रेट के पास अंतरिम मेन्टेनेंस के लिए जा सकते हैं अगर वह खुद का खर्च नहीं चला सकते।
उदाहरण: यदि पत्नी की कोई इनकम नहीं है और वह अपने खर्च और कानूनी फीस के लिए सक्षम नहीं है, तो वह अंतरिम मेन्टेनेंस मांग सकती है जब तक कि कोर्ट अंतिम आदेश नहीं देता।
शादी रद्द होने के बाद स्थायी मेन्टेनेंस / एलिमनी
शादी रद्द होने के बाद, आर्थिक रूप से कमजोर पति या पत्नी स्थायी मेन्टेनेंस के लिए अदालत में आवेदन कर सकते हैं।
1. हिंदू मैरिज एक्ट
- हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 के तहत कोर्ट शादी रद्द होने के बाद भी स्थायी मेन्टेनेंस दे सकती है।
- कोर्ट ने इसे एनुलमेंट के आदेश में भी लागू माना है।
- कानून का उद्देश्य है कि किसी भी पति या पत्नी को अन्यायपूर्ण रूप से आर्थिक मदद से वंचित न किया जाए।
2. स्पेशल मैरिज एक्ट कीधारा 37 के तहत भी कोर्ट शादी रद्द होने के बाद स्थायी एलिमनी देने का अधिकार रखती है।
3. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
- धारा 144 के तहत मेन्टेनेंस का दावा किसी भी धर्म, व्यक्तिगत कानून या एनुलमेंट स्थिति से स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।
- यदि पति या पत्नी अपनी जीवनयापन की व्यवस्था खुद नहीं कर सकते, तो वह कोर्ट से मेन्टेनेंस मांग सकते हैं।
क्या घरेलू हिंसा के मामले में भी मेन्टेनेंस मिल सकता है?
डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005 के तहत, अगर महिला को शादी के दौरान या बाद में घरेलू हिंसा या आर्थिक उत्पीड़न झेलना पड़ा है, तो कोर्ट उसे आर्थिक राहत देने का आदेश दे सकती है, भले ही शादी रद्द हो गई हो।
इस आर्थिक राहत में शामिल हो सकता है:
- रोजमर्रा के खर्चों के लिए मेंटेनेंस
- मानसिक या शारीरिक नुकसान के लिए मुआवजा
- चिकित्सीय खर्च और अन्य जरूरी खर्च
इस कानून के तहत राहत पाने का अधिकार व्यक्तिगत कानून के तहत मेन्टेनेंस के अधिकारों से अलग है। इसका मकसद है कि घरेलू हिंसा के शिकार व्यक्ति को न्याय और आर्थिक सुरक्षा मिले।
शादी रद्द होने के बाद मेन्टेनेंस देने से पहले कोर्ट किन बातों का ध्यान रखती है?
कोर्ट को मेन्टेनेंस देने का अधिकार है, लेकिन यह पूरी तरह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
- आर्थिक निर्भरता क्या पति या पत्नी आर्थिक रूप से दूसरे पर निर्भर है? क्या उसकी खुद की आय या कमाने की क्षमता है?
- जीवन स्तर शादी के दौरान निर्भर पति/पत्नी का जीवन स्तर कैसा था? क्या शादी रद्द होने के बाद वही जीवन स्तर बनाए रखना संभव है?
- पक्षों का व्यवहार कोर्ट देखती है कि किसी का व्यवहार मेन्टेनेंस पाने के योग्य है या नहीं। उदाहरण: अगर मेन्टेनेंस मांगने वाला पति/पत्नी धोखा या तथ्य छुपाने में शामिल था, तो राहत कम या मना की जा सकती है।
- रिश्ते की अवधि और प्रकृति लंबे समय तक साथ रहने और गहरी आर्थिक निर्भरता होने पर मेन्टेनेंस का दावा मजबूत होता है।
- बच्चों की जरूरतें बच्चे होने पर मेन्टेनेंस की मात्रा और जरूरत बढ़ जाती है।
शादी रद्द होने के बाद मेन्टेनेंस कब मना किया जा सकता है?
कानून के अनुसार दावा संभव होने के बावजूद, कोर्ट मेन्टेनेंस मना कर सकती है यदि:
- मेन्टेनेंस मांगने वाला आर्थिक रूप से स्वतंत्र है और खुद का खर्च चला सकता है।
- उसने धोखा, जानबूझकर झूठ या तथ्य छुपाना किया हो।
- शादी रद्द होने से पहले वह बिना कारण अलग रह रहा था।
- हर केस में फैसला सबूत और कोर्ट की विवेकपूर्ण जांच के आधार पर लिया जाता है।
तलाक और एनुलमेंट के बाद मेन्टेनेंस में फर्क
| पहलू | तलाक | एनुलमेंट |
| कानूनी स्थिति | शादी वैध थी, अब खत्म हो गई | शादी शुरू से ही अवैध मानी जाती है |
| मेंटेनेंस | लंबी अवधि या स्थायी मेन्टेनेंस मिल सकता है | आमतौर पर अंतरिम या एकमुश्त राशि दी जाती है |
| कोर्ट का नजरिया | न्याय और मुआवजे पर ध्यान | तुरंत आर्थिक मदद और समर्थन पर ध्यान |
निष्कर्ष
शादी रद्द होने से शादी का कानूनी अस्तित्व तो खत्म हो जाता है, लेकिन उससे जुड़े मानव और आर्थिक स्थिति खत्म नहीं हो जाते। कानून मानता है कि शादी रद्द होने के बावजूद एक पति या पत्नी आर्थिक रूप से कमजोर, निर्भर या कठिनाई में हो सकता है।
शादी रद्द होने के बाद मेन्टेनेंस या आर्थिक सहायता देने का मकसद किसी को सजा या इनाम देना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कमजोर पक्ष को न्याय और सम्मान मिले।
मेन्टेनेंस का अधिकार हर केस की परिस्थितियों पर निर्भर करता है, शादी रद्द होने के कारण, दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति, और निर्भर पति/पत्नी की खुद की कमाने की क्षमता।
कानून यह सुनिश्चित करता है कि शादी रद्द होने के बाद भी कमजोर पति या पत्नी अनाथ या बेबस न रहें। समय पर कानूनी सलाह लेना आपके अधिकारों की रक्षा कर सकता है और कठिन स्थिति को सुलझा हुआ और न्यायपूर्ण परिणाम में बदल सकता है।
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FAQs
1. क्या पत्नी शादी रद्द होने के बाद मेन्टेनेंस मांग सकती है अगर शादी केवल कुछ महीने चली?
अगर पत्नी आर्थिक रूप से पति पर निर्भर थी, तो कोर्ट उसे अंतरिम मेन्टेनेंस दे सकती है, ताकि वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतें और कानूनी खर्च आसानी से पूरा कर सके।
2. क्या एनुलमेंट बच्चों के मेन्टेनेंस के अधिकार को प्रभावित करता है?
बच्चों को हमेशा मेन्टेनेंस का अधिकार है। माता-पिता की शादी रद्द हो या वैध, कोर्ट यह सुनिश्चित करती है कि बच्चों की जीवन-यापन और शिक्षा की जरूरतें पूरी हों।
3. क्या शादी रद्द होने के बाद एकमुश्त एलिमनी मिल सकती है?
हाँ। खास परिस्थितियों में कोर्ट पति या पत्नी को एकमुश्त एलिमनी दे सकती है। यह राशि उनकी तत्काल आर्थिक जरूरतों, जीवनयापन और कानूनी खर्चों को पूरा करने के लिए होती है।
4. अगर शादी रद्द होने का कारण पति/पत्नी का गलत व्यवहार था, तो मेन्टेनेंस लिया जा सकता है?
अगर गलत व्यवहार सीधे एनुलमेंट का कारण बना है, तो कोर्ट मेन्टेनेंस घटा या मना कर सकती है। लेकिन आर्थिक निर्भरता और जरूरतों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाता है।



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