आपने समय पर अपना बीमा प्रीमियम भरा, इस उम्मीद में कि ज़रूरत पड़ने पर कंपनी आपकी मदद करेगी। लेकिन अचानक एक चिट्ठी आती है: “क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया है।” आपका दिल बैठ जाता है। अब क्या करें?
अगर आपके साथ ऐसा हुआ है, तो आप अकेले नहीं हैं। हर साल हज़ारों लोग इस परेशानी से गुज़रते हैं। लेकिन अच्छी बात ये है, आपके पास अब भी रास्ते हैं।
यह ब्लॉग उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है: जिनका बीमा क्लेम रिजेक्ट हुआ है, जो क्लेम प्रक्रिया को बेहतर समझना चाहते हैं और जो भविष्य में ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं।
बीमा कंपनियाँ क्लेम क्यों रिजेक्ट करती हैं?
- कवरेज की कमी: कई बार आपकी पॉलिसी उस नुकसान को कवर ही नहीं करती जिसकी आप क्लेम कर रहे हैं। जैसे, अगर आपकी पॉलिसी सिर्फ आग से हुए नुकसान को कवर करती है और आप बाढ़ से हुए नुकसान का क्लेम करते हैं, तो क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा।
- समय सीमा चूकना: हर बीमा पॉलिसी में क्लेम दाखिल करने की एक समय सीमा होती है। अगर आपने तय समय के बाद क्लेम किया, तो वह रिजेक्ट हो सकता है, यहां तक की अगर आपका क्लेम सही हो।
- अधूरे या गलत दस्तावेज़: अगर आपने फॉर्म अधूरा भरा हो, तारीख गलत हो या कोई ज़रूरी दस्तावेज़ ना लगाया हो, तो भी आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
- पॉलिसी लैप्स होना: अगर आपने समय पर प्रीमियम नहीं भरा, तो आपकी पॉलिसी बंद (लैप्स) हो सकती है, जिससे आपको कोई कवरेज नहीं मिलेगा।
- पहले से मौजूद बीमारी (हेल्थ इंश्योरेंस में): हेल्थ इंश्योरेंस में क्लेम अकसर इस वजह से रिजेक्ट होता है क्योंकि कंपनी कहती है कि बीमारी पहले से थी, जब पॉलिसी शुरू हुई ही नहीं थी।
- गलत नियत से क्लेम रिजेक्ट करना: कभी-कभी बीमा कंपनियाँ बिना सही जाँच के या जानबूझकर क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं। इसे “बैड फेथ” कहा जाता है और यह गैरकानूनी है।
जब आपका बीमा क्लेम रिजेक्ट हो जाए तो क्या करें?
रिजेक्शन लेटर ध्यान से पढ़ें: इस चिट्ठी में आमतौर पर ये जानकारी होती है:
- क्लेम रिजेक्ट करने का कारण
- बीमा पॉलिसी का वो हिस्सा जिससे रिजेक्शन को सही ठहराया गया
- अपील (आपत्ति) कैसे करें
इस चिट्ठी को फेंकें नहीं। अपील करते समय यही आपका सबसे ज़रूरी दस्तावेज़ होगा।
अपनी बीमा पॉलिसी की कॉपी लें: आपको अपनी पूरी बीमा पॉलिसी की कॉपी मांगने का अधिकार है। उसे ध्यान से पढ़ें कि कौन-कौन सी चीज़ें कवर हैं और कौन नहीं।
सब कुछ सही तरीके से संभाल कर रखें: एक फोल्डर (डिजिटल या फिजिकल) बनाएं जिसमें ये रखें:
- क्लेम रिजेक्शन की चिट्ठी
- सभी ईमेल और पत्र
- क्लेम से जुड़ी फॉर्म और सबूत (जैसे फोटो, बिल, रसीदें)
- बीमा कंपनी से हुई फोन बातचीत की नोट्स
बीमा कंपनी से संपर्क करें: क्लेम विभाग को कॉल करें और पूछें:
- क्लेम रिजेक्ट करने की पूरी वजह
- अगर कोई दस्तावेज़ या जानकारी कम है
- अपील करने की सही प्रक्रिया क्या है
शांत रहें, सब कुछ नोट करें और बात करने वाले व्यक्ति का नाम ज़रूर पूछें।
क्लेम रिजेक्ट होने पर अपील कैसे करें – आसान स्टेप-बाय-स्टेप तरीका
अगर आपको लगता है कि बीमा कंपनी ने गलती की है, तो आपको अपील करने का पूरा हक है।
सबूत इकट्ठा करें: जो भी दस्तावेज़ आपके क्लेम को सही साबित करते हैं, उन्हें जमा करें:
- बिल
- रसीदें
- फोटो
- पुलिस रिपोर्ट
- मेडिकल रिपोर्ट
- गवाहों के बयान
जितना ज़्यादा सबूत होगा, आपका मामला उतना मजबूत बनेगा।
अपील लेटर लिखें: यह मौका है अपनी बात सही तरीके से रखने का। भाषा सम्मानजनक रखें, लेकिन बात स्पष्ट और मजबूत हो। लेटर में शामिल करें:
- आपका नाम और पॉलिसी नंबर
- क्लेम करने की तारीख
- क्लेम रिजेक्ट करने की वजह (चिट्ठी में दी गई भाषा का ज़िक्र करें)
- आपकी तरफ से पूरी सफाई और सबूत
- एक सीधा अनुरोध कि क्लेम दोबारा देखा जाए और मंज़ूर किया जाए
टिप: सभी डॉक्यूमेंट्स की कॉपी भेजें, असली नहीं।
अपील जमा करें: अपना लेटर रजिस्टर्ड डाक या ईमेल (अगर मान्य हो) से भेजें ताकि यह साबित हो सके कि आपका लेटर या ईमेल बीमा कंपनी को मिला। एक कॉपी अपने पास रखें।
फॉलो–अप करें: अपील भेजने के बाद चुप न बैठें। करीब एक हफ्ते बाद संपर्क करें और पूछें कि प्रक्रिया कहां तक पहुंची है। साथ ही, उनसे टाइमलाइन भी पूछें।
वकील से कब बात करनी चाहिए?
कई बार बीमा कंपनी को सीधी अपील करने के बाद भी कोई फायदा नहीं होता। अगर आपका क्लेम फिर भी रिजेक्ट हो रहा है, या आपको लग रहा है कि आपके साथ गलत व्यवहार हो रहा है, तो वकील से सलाह लेने का समय आ गया है।
यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जब आपको वकील से बात करनी चाहिए:
- जब नुकसान बड़ा हो: अगर क्लेम बड़ी रकम का है, जैसे कार या घर का भारी नुकसान, तो वकील मदद कर सकता है।
- जब कंपनी जानबूझकर क्लेम रोके: अगर कंपनी झूठ बोले, बिना वजह देरी करे या सबूत न माने, तो यह गैरकानूनी है। वकील से सलाह लें।
- अगर मामला जटिल है: मेडिकल, जीवन बीमा या बिजनेस से जुड़े क्लेम अगर उलझे हुए लगें, तो वकील आपकी स्थिति को अच्छे से समझाकर सही रास्ता बता सकता है।
- अगर बीमा कंपनी आपको टाल रही है: अगर कंपनी गोलमोल जवाब दे रही है, बार-बार दस्तावेज़ मांग रही है या प्रक्रिया समझ नहीं आ रही, तो वकील इन परेशानियों को दूर कर सकता है।
IRDAI से शिकायत कैसे करें?
अगर बीमा कंपनी आपकी अपील ठुकरा दे या मामले को लंबा खींचे, तो आप इसे IRDAI तक ले जा सकते हैं।
IRDAI क्या है?
IRDAI यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, सरकार की संस्था है जो बीमा कंपनियों को नियंत्रित करती है और बीमाधारकों के हितों की रक्षा करती है।
IRDAI में शिकायत
- IRDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: www.irdai.gov.in
- वहाँ के इंटीग्रेटेड ग्रिवांस मैनेजमेंट सिस्टम (IGMS) से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें
- अपनी सभी जरूरी दस्तावेज़ और पत्र-व्यवहार संलग्न करें
- IRDAI शिकायत की जांच करता है और बीमा कंपनी से जल्दी समाधान करने को कहता है।
क्या उम्मीद करें?
IRDAI आमतौर पर बिना कोर्ट जाए मामले सुलझाने में मदद करता है। वे सीधे मुआवजा तो नहीं देते, लेकिन बीमा कंपनियों को सही नियमों का पालन करने का निर्देश देते हैं।
कंस्यूमर कोर्ट और कानूनी विकल्प
अगर IRDAI से भी आपका मामला सही से नहीं सुलझता या आप संतुष्ट नहीं हैं, तो आप कंज्यूमर कोर्ट या सिविल कोर्ट में जा सकते हैं।
कंज्यूमर कोर्ट: भारत में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कंज्यूमर फोरम होते हैं जो बीमा शिकायतें कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत देखते हैं।
- कंज्यूमर कोर्ट आमतौर पर तेज़ और सस्ती होती हैं।
- आप खुद जा सकते हैं या वकील की मदद ले सकते हैं।
- ये कोर्ट बीमा कंपनी को क्लेम, मुआवज़ा और जुर्माना देने का आदेश दे सकती हैं।
कहाँ फाइल करें: क्लेम राशि के आधार पर:
- ₹50 लाख तक – डिस्ट्रिक्ट फोरम
- ₹50 लाख – ₹2 करोड़ – स्टेट फोरम
- ₹2 करोड़ से ऊपर – नेशनल फोरम
सिविल कोर्ट का मुकदमा: अगर आपका क्लेम बड़ा है या मामला जटिल है, तो आप सिविल कोर्ट में धोखाधड़ी या कॉन्ट्रैक्ट टूटने का मुकदमा कर सकते हैं।
भविष्य में रिजेक्शन से कैसे बचें?
- बीमा लेते समय पूरी और सही जानकारी दें
- सभी मेडिकल जाँच सही समय पर करवाएं
- पॉलिसी को समय-समय पर अपडेट करें
- नॉमिनी की जानकारी सही और अपडेटेड रखें
- हर बात लिखित में लें और रखें
- पॉलिसी की शर्तों को ध्यान से पढ़ें और समझें
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
राजकोट कंज्यूमर कोर्ट का फैसला: ब्रेस्ट कैंसर क्लेम पर ₹7.5 लाख देने का आदेश, जून 2025
राजकोट की कंज्यूमर कोर्ट ने आदित्य बिड़ला इंश्योरेंस को आदेश दिया कि वह एक महिला को ₹7.5 लाख और 6% ब्याज के साथ भुगतान करे। महिला का ब्रेस्ट कैंसर इलाज का क्लेम पहले इस वजह से ठुकरा दिया गया था कि उसे डायबिटीज थी। कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी ये साबित नहीं कर पाई कि डायबिटीज और ब्रेस्ट कैंसर का कोई सीधा संबंध है, इसलिए क्लेम रिजेक्ट करना गलत सेवा माना गया।
कोयंबटूर आयोग का फैसला: कोविड से जुड़ी बीमारी के लिए ₹17 लाख का भुगतान, जून 2025
कोयंबटूर की डिस्ट्रिक्ट कंस्यूमर रेड्रेसल कमीशन ने एक प्राइवेट बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह एक पॉलिसीहोल्डर को ₹17 लाख मेडिकल खर्च के रूप में लौटाए। व्यक्ति को कोविड होने के बाद हार्ट अटैक और लिवर की दिक्कत हुई थी, लेकिन कंपनी ने बिना ठोस वजह क्लेम ठुकरा दिया था। आयोग ने कहा कि बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे वैध क्लेम का सम्मान करें।
IRDAI का नया निर्देश: दस्तावेज़ों की कमी पर क्लेम रिजेक्ट नहीं किया जा सकता, 11 जून 2024
- IRDAI ने साफ़ किया है कि अब जनरल इंश्योरेंस कंपनियाँ सिर्फ दस्तावेज़ों की कमी की वजह से क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकतीं।
- बीमा कंपनियों को ज़रूरी दस्तावेज़ पहले ही, यानी पॉलिसी लेते समय, जमा करवाने चाहिए। क्लेम के समय वे केवल वही दस्तावेज़ मांग सकती हैं जो सीधे क्लेम से जुड़े हों।
- यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि ग्राहकों को बिना वजह परेशान न किया जाए और उनका क्लेम सही तरीके से निपटाया जाए।
निष्कर्ष
बीमा क्लेम रिजेक्ट होना बहुत तनाव भरा हो सकता है, लेकिन भारत में आपके पास अपने अधिकार हैं और लड़ने के लिए साफ़ तरीके भी। यह समझना जरूरी है कि क्लेम क्यों रिजेक्ट होता है और अपील कैसे करनी है, ताकि आप अपने अधिकार बचा सकें और सफल क्लेम की संभावना बढ़ा सकें।
अगर बीमा कंपनी मदद नहीं करती, तो आप अपनी शिकायत IRDAI या कंज्यूमर कोर्ट तक ले जा सकते हैं। और याद रखें, अगर ज़रूरत हो तो कानूनी मदद भी उपलब्ध है। आपने बीमा के लिए पैसा दिया है, तो जब ज़रूरत हो, सही सहायता जरूर लें।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. मेरा क्लेम क्यों रिजेक्ट हुआ जबकि सब डॉक्युमेंट दिए थे?
डॉक्युमेंट सही होने के बावजूद शर्तों का उल्लंघन, देरी या जानकारी छिपाना रिजेक्शन का कारण हो सकता है।
2. क्या कोर्ट में जाने से पहले ओम्बड्समैन जरूरी है?
नहीं, आप सीधे उपभोक्ता फोरम भी जा सकते हैं, लेकिन ओम्बड्समैन पहले ट्राय करना आसान और कम खर्चीला होता है।
3. अगर बीमा एजेंट ने गलत जानकारी दी हो तो क्या कर सकते हैं?
उस पर कंपनी या उपभोक्ता फोरम में केस किया जा सकता है, और IRDAI को रिपोर्ट किया जा सकता है।
4. क्या जीवन बीमा और हेल्थ बीमा में प्रक्रिया अलग होती है?
हाँ, दस्तावेज़ और प्रक्रिया थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन शिकायत निवारण प्रक्रिया लगभग समान है।
5. IRDAI कितने दिनों में जवाब देता है?
आम तौर पर 15-30 कार्यदिवस के भीतर जवाब मिलता है।



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