क्या होता है जब सिविल कोर्ट का नोटिस प्राप्त नहीं होता है?

क्या होता है जब सिविल कोर्ट का नोटिस प्राप्त नहीं होता है?

सिविल कोर्ट का नोटिस एक कानूनी दस्तावेज होता है जो किसी व्यक्ति या संगठन को चल रहे न्यायिक मुकदमे के बारे में सूचित करता है। इस नोटिस में स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि किसे, क्यों, और किस प्रकार की कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है। नोटिस के जरिए, व्यक्ति को अवसर मिलता है कि वह उस मामले से जुड़े अपने विचार को अदालत के सामने रख सके। 

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सिविल कोर्ट का नोटिस क्यों जारी किया जाता है?

सिविल कोर्ट का नोटिस कानूनी कार्यों, उचित न्यायप्रणाली और व्यावसायिक विवादों के मामलों में चल रही स्थिति की सुनवाई के लिए जारी किया जाता है। यह एक व्यक्ति को उस पर किये गए कानूनी मामले पर अपने विचार को रखने का अवसर प्रदान करता है।

मुख्य रूप से सिविल कोर्ट द्वारा नोटिस भेजने के पीछे निम्नलिखित उद्देश्य शामिल होते हैं।

  • कानूनी नोटिस के ज़रिए अपना अधिकार लिया जा सकता है।
  • जब लगे कि किसी ने गलत किया है या धोखा दिया है, तब कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है।
  • कानूनी नोटिस भेजने वाला व्यक्ति कानून के हिसाब से कोई भी कानूनी कार्यवाही शुरू कर सकता है।
  • आम तौर पर कानूनी नोटिस में दिया गया समय 2 से 4 हफ़्तों का होता है।
  • कानूनी नोटिस पाने वाले व्यक्ति को निर्धारित समय में जवाब देना होता है।
  • अगर जवाब नहीं दिया जाता, तो विपरीत पक्ष अदालत में मुकदमा दायर कर सकता है।

सिविल कोर्ट का नोटिस किसे जारी किया जाता है?

सिविल कोर्ट का नोटिस एक व्यक्ति को उसके खिलाफ चली जा रही किसी सुनवाई या मुकदमे के बारे में सूचित करने के लिए जारी किया जाता है। यह व्यक्ति को समय देता है कि वह कोर्ट में अपने तथ्य,दलील और अपने पक्ष को प्रस्तुत कर सके। जिससे अदालत को उस मामले की पूरी जानकारी हो और वह सही निर्णय ले सके।

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सिविल कोर्ट का नोटिस जारी करने की प्रक्रिया

आवश्यक दस्तावेज तैयारी पहले कर लें

नोटिस के लिए जरूरी दस्तावेजों की तैयारी पहले से करें, जिसमें मुकदमे का विवरण, पक्षों के नाम, आरोप, और अन्य जरूरी जानकारी शामिल होती है।

नोटिस की तैयारी कर नोटिस जारी करना

एक आधिकारिक नोटिस तैयार किया जाता है, जिसमें मुकदमे के विवरण, प्रक्रिया की जानकारी, और आवश्यक तिथियाँ शामिल होती हैं। नोटिस को तैयार करने के बाद, यह कोर्ट द्वारा निर्धारित तरीके से जारी किया जाता है, जिसमें निर्दिष्ट व्यक्तियों या संगठनों को नोटिस के बारे में सूचित किया जाता है।

नोटिस को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचना और प्रमाण स्वीकृति 

नोटिस भेजने वाले व्यक्ति या संगठन को ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि ये नोटिस जब सामने वाली पार्टी को मिले तो उसकी सूचना भेजने वाले को भी मिले| इसके लिए एक पावती होती है जिसे रिसीव करने वाले व्यक्ति को स्वीकार करनी पड़ती है।

यह प्रक्रिया न्यायिक तंत्र की सुविधा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। ताकि चल रहे मुकदमे में प्रतिपक्ष को न्यायिक प्रक्रिया के बारे में समय रहते सूचित किया जा सके।

क्या होता है जब सिविल कोर्ट का नोटिस प्राप्त नहीं होता है?

अगर किसी व्यक्ति को सिविल कोर्ट का नोटिस नहीं मिलता है, तो प्रोसेस सर्वर एक नोट लिखेगा। इसमें लिखा होगा कि आपने नोटिस लेने से इनकार कर दिया है। इस स्थिति में, अदालत आपकी अनुपस्थिति के मामले पर अपने विवेक से फ़ैसला ले सकती है। अगर कोई सम्मन का जवाब नहीं देता है, तो अदालत जवाब देगी। अदालत की कार्रवाई के तहत एकपक्षीय कानूनी कार्यवाही शुरू की जाएगी। इसमें वादी को कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ साक्ष्य के ज़रिए अपना दावा साबित करना होगा। 

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अतः अगर स्थितियां ऐसी हैं कि आप कानूनी नोटिस का जवाब देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं, तो भी जवाब देना उचित है। अगर उत्तर किसी वकील द्वारा तैयार किया गया हो, तो और बेहतर होगा। 

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