लिव-इन-रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों के अधिकार – कानून क्या कहता है?

Rights of children born out of live-in relationships – what does the law say

समाज की सोच और कानून की सच्चाई

भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप को अब भी पूरी सामाजिक मान्यता नहीं मिली है। जबकि शहरों में इसे एक आधुनिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, ग्रामीण और पारंपरिक मानसिकता आज भी इसे विवाह से नीचे दर्जा देती है। लेकिन कानून की नज़र में — यदि दो लोग बिना शादी के एक साथ रहते हैं, तो उनका रिश्ता और उनके बच्चों के अधिकार पूरी तरह से संविधान और न्यायालय द्वारा संरक्षित होते हैं।

इस लेख में हम जानेंगे कि लिव-इन-रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को क्या-क्या कानूनी अधिकार मिलते हैं – जायज़ता, मेंटेनेंस, प्रॉपर्टी, और कस्टडी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर।

भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप की कानूनी स्थिति

भारत के उच्चतम न्यायालय ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि दो बालिग व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से शादी के बिना भी साथ रह सकते हैं।

महत्वपूर्ण केस:

  • लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
  • एस. खुशबू बनाम कन्नियाम्मल

इन मामलों में कोर्ट ने माना कि लिव-इन-रिलेशनशिप कोई अपराध नहीं है और ऐसे रिश्तों को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत संरक्षण प्राप्त है।

क्या यह शादी के बराबर है?

नहीं, लेकिन लंबे समय तक साथ रहना, एक कपल की तरह व्यवहार करना, और सामाजिक रूप से “पति-पत्नी” माने जाना – इसे कोर्ट मैरिज के समान ‘प्रेजम्प्शन ऑफ मैरिज’ के रूप में देखा जा सकता है।

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लिव-इन-रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों की जायज़ता (Legitimacy)

महत्वपूर्ण निर्णय:

बालासुब्रमण्यम बनाम श्रीुथायम्मल केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

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“यदि कोई पुरुष और महिला एक साथ कई वर्षों तक साथ रहते हैं, तो कानून मान लेता है कि वे पति-पत्नी हैं और ऐसे रिश्ते से पैदा हुआ बच्चा जायज़ माना जाएगा।”

यह निर्णय एविडेंस एक्ट की धारा 114 पर आधारित था, जो सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तथ्य मानने की अनुमति देता है।

प्रॉपर्टी के अधिकार – क्या ऐसे बच्चों को संपत्ति में हिस्सा मिलता है?

भारत माता व अन्य बनाम विजया रंगनाथन केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया कि:

“लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी माना जाएगा।”

यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 39(f) के तहत बच्चों के संरक्षण और विकास के सिद्धांत पर आधारित है।

लेकिन ध्यान दें: उन्हें केवल माता या पिता की संपत्ति में अधिकार है – ना कि संयुक्त पारिवारिक या पूर्वजों की संपत्ति में, जब तक अन्य कानूनी आधार मौजूद न हों।

मेंटेनेंस का अधिकार – बच्चे की देखरेख किसकी जिम्मेदारी?

मेंटेनेंस का अर्थ: बच्चे की शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और बुनियादी ज़रूरतें।

लागू कानून:

  • हिंदू अडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 (धारा 20)
  • BNSS की धारा 144 – सभी धर्मों के लिए लागू

कस्टडी (Child Custody) – कौन होगा बच्चे का गार्जियन?

भारत में बच्चे की कस्टडी का निर्णय हमेशा इस बात पर आधारित होता है कि बच्चे के सर्वश्रेष्ठ हित में क्या है।

महत्वपूर्ण केस:

गीता हरिहरन बनाम RBI – सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

“पिता प्राकृतिक गार्जियन होते हैं, लेकिन यदि परिस्थिति उचित हो तो मां को भी प्राथमिकता दी जा सकती है।”

लिव-इन-रिलेशनशिप में यह और जटिल हो जाता है, लेकिन वर्तमान प्रैक्टिस यही है कि माँ को कस्टडी का प्राथमिक अधिकार दिया जाता है, विशेषकर तब जब पिता अनुपस्थित हो या रिश्ता अस्थिर हो।

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निष्कर्ष

लिव-इन-रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को भारत में कानूनन जायज़, संरक्षित और समान अधिकार प्राप्त हैं। संपत्ति, मेंटेनेंस और कस्टडी जैसे मामलों में उन्हें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं सहना चाहिए। अगर आप ऐसे किसी कानूनी मामले का सामना कर रहे हैं, तो लीड इंडिया से सलाह लें, आपके अधिकारों की रक्षा हमारी प्राथमिकता है।

क्या आपको कानूनी सहायता चाहिए?

लिव-इन-रिलेशनशिप से जुड़े मामलों में कानून स्पष्ट है लेकिन सामाजिक दबाव और भ्रामक धारणाएं परेशानी पैदा कर सकती हैं। ऐसे में लीड इंडिया के एक्सपर्ट वकील आपकी मदद के लिए मौजूद हैं — चाहे वह:

  • बच्चे की जायज़ता से जुड़ी कानूनी राय हो,
  • मेंटेनेंस क्लेम हो,
  • प्रॉपर्टी में अधिकार का मामला हो, या
  • बच्चे की कस्टडी से जुड़ा विवाद।

FAQs

1. क्या लिव-इन-रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को नाजायज़ माना जाएगा?

नहीं। यदि कपल लंबे समय तक साथ रहा है, तो बच्चा कानूनन जायज़ माना जाएगा।

2. क्या ऐसे बच्चे माता-पिता की संपत्ति में अधिकार रखते हैं?

हाँ, लेकिन केवल माता या पिता की स्वयं की संपत्ति में। संयुक्त परिवार की संपत्ति में नहीं।

3. क्या लिव-इन में पैदा हुए बच्चे को मेंटेनेंस मिल सकता है?

हाँ, CrPC की धारा 125 और Hindu Maintenance Act के तहत उसे पूरा अधिकार है।

4. कस्टडी किसे मिलती है?

आमतौर पर मां को प्राथमिकता मिलती है, जब तक कि विशेष परिस्थिति न हो।

5. क्या ऐसे रिश्ते में जन्म लेने वाला बच्चा गोद लिया जा सकता है?

हाँ, अगर सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो तो बच्चा गोद लिया जा सकता है।

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