क्रेडिट कार्ड के लिए कौन कौन से कानूनी मामले आते हैं?

क्रेडिट कार्ड के लिए कौन कौन से कानूनी मामले आते हैं?

क्रेडिट कार्ड एक प्लास्टिक या धातु का कार्ड होता है , जिसे देश की विभिन्न बैंकों द्वारा उन उपभोक्ताओं के लिए जारी किया जाता है जो बैंक से लोन लेना चाहते  हैं या फिर को व्यक्ति अपनी जरूरत की चीज खरीदना चाहता है और उसकी आय अथवा उसके पास इतना बैलेंस नहीं है तो वो क्रेडिट कार्ड की मदद से, वो उस खरीदारी को आसान ईएमआई में बदल सकता है। क्रेडिट कार्ड के लिए बैंकों द्वारा अपने उपभोक्ताओं पर कुछ प्रतिशत ब्याज भी चार्ज किया जाता है। कई बार ऐसा भी होता है इन बैंकों से कर्ज लेने के बाद आदमी कर्ज नहीं चुका पाता है तो ऐसी स्थिति में भारत सरकार ने कई नियमों और कानूनों को लागू किया है। जिनके बारे में आज अपने इस आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करेंगे।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

भारत में, क्रेडिट कार्ड के लिए कानूनी मामलों की निगरानी विभिन्न संस्थाएं और कानूनी नियमों पर आधारित होते हैं। यहां कुछ मुख्य पहलुओं की चर्चा की जा रही है। जैसे कि :-

रिज़र्व बैंक के निर्देश और उपभोक्ता संरक्षण

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने क्रेडिट कार्ड के लिए निर्देश जारी किए हैं जो बैंकों को अपनी सेवाएं प्रदान करते समय अपनाने चाहिए। उपभोक्ता संरक्षण कानूनी प्रावधानों के माध्यम से उपभोक्ताओं की सुरक्षा करने के लिए हैं, जिसमें अनुशासन और तय किये गए  नियमों का पालन करना शामिल है।

गोपनीयता एवं उचित ब्याज दर

क्रेडिट कार्ड धारकों की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखने के लिए कानूनी प्रावधान हैं, जिसमें गोपनीयता और सुरक्षा से संबंधित निर्देश शामिल हैं। RBI ने क्रेडिट कार्डों के ब्याज दरों को नियंत्रित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। जिसके अनुसार ही क्रेडिट कार्ड से की गई खरीददारी की रकम पर ग्राहक से ब्याज की दर तय किये जा सकते हैं।

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भारत में क्रेडिट कार्ड को लेकर बनाए गए कानून

भारत में, क्रेडिट कार्ड डिफ़ॉल्टरों के ख़िलाफ़ ये कानूनी कार्रवाई की जा सकती है: 

  • दीवानी मुकदमा दायर करना
  • आपराधिक कार्यवाही शुरू करना
  • ऋण वसूली न्यायाधिकरणों का उपयोग करना

इन कार्रवाईयों के परिणामस्वरूप कारावास या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं. 

अगर आप लगातार 6 महीने या उससे ज़्यादा समय तक अपने क्रेडिट कार्ड का पूरा बिल या न्यूनतम बिल भुगतान नहीं करते, तो आपका क्रेडिट कार्ड डिफ़ॉल्टर माना जाएगा। इस मामले में, क्रेडिट कार्ड जारी करने वाला बैंक या NBFC आपको पहले ईमेल या SMS के ज़रिए कई नोटिस भेजेगा और बिल का भुगतान करने के लिए कॉल करेगा।

अगर आप निर्धारित अवधि के बाद भुगतान नहीं करते, तो वे आपका खाता बंद कर देंगे और क्रेडिट ब्यूरो को डिफ़ॉल्ट की रिपोर्ट करेंगे। इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ता है और भविष्य में आपके लिए ऋण स्वीकृत होना मुश्किल हो जाएगा।

भारत में क्रेडिट कार्ड के लिए RBI के क्या निर्देश हैं?

भारत में क्रेडिट कार्ड के लिए कुछ मुख्य कानून और निर्देश हैं, जैसे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के द्वारा जारी किए गए निर्देश, 

रिजर्व बैंक के निर्देश

RBI ने क्रेडिट कार्डों के लिए समय समय पर निर्देश जारी किए हैं जो बैंकों और क्रेडिट कार्ड कंपनियों को अपनाने होते हैं अन्यथा उन पर मुकदमा दायर किया जा सकता है। जिससे कम्पनी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। RBI के कुछ दिशा निर्देश निम्नलिखत हैं- 

  • क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंकों और एनबीएफ़सी कंपनियों को क्रेडिट कार्ड पेमेंट के बकाया, मिनिमम अमाउंट ड्यू के नियम और शर्तें तय करनी होंगी.
  • क्रेडिट कार्ड बकाया पर ब्याज़ की गणना इस तरह की जाती है:
    • लेन-देन की तारीख से गिने जाने वाले दिनों की संख्या
    • बकाया राशि
    • प्रति माह ब्याज़ दर
    • 12 महीने
  • अगर कोई ग्राहक मिनिमम अमाउंट का भुगतान करता है, तो बाकी की राशि और आगामी ट्रांज़ैक्शन पर तब तक ब्याज़ लगाया जाएगा, जब तक कि पिछले अमाउंट का भुगतान नहीं हो जाता।
  • बैंकों को किसी डिफ़ॉल्टर के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई शुरू करने से पहले डिफ़ॉल्ट की लिखित सूचना देनी होगी।
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