क्या दामाद को ससुर की प्रॉपर्टी में हक़ है? सुप्रीम कोर्ट का सख़्त जवाब

Does a son-in-law have a right to his father-in-law's property Supreme Court's strict answer

भारत में विवाह सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का सामाजिक व भावनात्मक बंधन होता है। बेटी की ससुराल में स्थिति को सुरक्षित रखने के लिए मायके वाले कई बार अतिरिक्त सहयोग भी करते हैं। लेकिन यह सहयोग संपत्ति के कानूनी अधिकार में परिवर्तित नहीं हो जाता।

आज हम चर्चा करेंगे कि क्या दामाद को ससुर की संपत्ति में कोई अधिकार प्राप्त होता है, खासकर यदि उसने प्रॉपर्टी में आर्थिक योगदान दिया हो।

क्या दामाद को ससुर की संपत्ति में अधिकार मिल सकता है?

कई बार शादी के बाद दामाद ससुराल में निवास करना शुरू कर देते हैं और स्वयं को उस घर का स्थायी सदस्य मान लेते हैं। लेकिन भारतीय कानून इस स्थिति को केवल भावनात्मक नजरिए से नहीं देखता – बल्कि यह पूरी तरह इस बात पर आधारित होता है कि संपत्ति का वैध स्वामी कौन है।

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मामला: डेविस राफेल बनाम हेंड्री थॉमस

मामले के तथ्य:

डेविस राफेल, कन्नूर जिले के निवासी, ने हेंड्री थॉमस की इकलौती बेटी से विवाह किया। वे शादी के बाद ससुराल की संपत्ति में रहने लगे। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने उस मकान के निर्माण में आर्थिक योगदान दिया है। साथ ही कहा कि उनके पास रहने के लिए कोई अन्य स्थान नहीं है।

कोर्ट का निष्कर्ष:

  • संपत्ति कानूनी रूप से ससुर के नाम पर पंजीकृत है। 
  • दामाद का दावा सिर्फ रिश्तेदारी और निवेश के आधार पर अस्वीकार्य है।
  • बिना कानूनी दस्तावेज़ या ससुर की अनुमति के, दामाद को न तो स्वामित्व का हक़ है और न ही निवास का स्थायी अधिकार।
  • कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि दामाद जबरदस्ती ऐसे अधिकार का दावा करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
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कानूनी विश्लेषण

भारतीय संपत्ति कानून (Transfer of Property Act, 1882) यह स्पष्ट करता है कि:

  • संपत्ति का अधिकार उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जिसके नाम पर वह वैध रूप से रजिस्टर्ड हो।
  • रिश्तेदारी, सह-निवास, या आर्थिक योगदान से कोई स्वतः हक़ उत्पन्न नहीं होता जब तक कि गिफ्ट डीड, वसीयत, या हस्तांतरण संबंधी वैध दस्तावेज़ उपलब्ध न हो।

महत्वपूर्ण सीख

  • दामाद केवल ससुर की अनुमति से ही संपत्ति में निवास कर सकता है।
  • यदि दामाद ने निर्माण में पैसा लगाया है, तो वह स्वामित्व नहीं बल्कि निवेश की प्रतिपूर्ति के लिए दीवानी वाद (civil suit) दायर कर सकता है।
  • कोई भी दावा केवल भावनात्मक आधार पर नहीं बल्कि दस्तावेज़ों के आधार पर वैध होता है।

निष्कर्ष

यह मामला स्पष्ट करता है कि रिश्तों की गहराई या आर्थिक योगदान, संपत्ति के कानूनी अधिकार का आधार नहीं बनते। ससुर की संपत्ति में दामाद का कोई वैधानिक हक़ नहीं होता जब तक कि लिखित रूप से संपत्ति हस्तांतरित न की गई हो। भावनात्मक या पारिवारिक समीकरणों से अलग, संपत्ति विवादों में दस्तावेज़ और स्वामित्व की स्थिति ही निर्णायक होती है।

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FAQs

1. क्या दामाद को ससुर की संपत्ति पर कानूनी अधिकार होता है?

नहीं, जब तक ससुर द्वारा संपत्ति का वैध कानूनी हस्तांतरण नहीं किया गया हो, दामाद को कोई अधिकार नहीं होता।

2. अगर दामाद ने संपत्ति में पैसा लगाया हो तो क्या मालिकाना हक़ बनता है?

सिर्फ आर्थिक योगदान से स्वामित्व नहीं मिलता। इसके लिए दामाद को दीवानी अदालत में दावा करना होगा।

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3. क्या ससुर दामाद को संपत्ति से बाहर निकाल सकते हैं?

हां, यदि कोई कानूनी निवास अधिकार नहीं है, तो ससुर दामाद को संपत्ति से बाहर निकाल सकते हैं।

4. कोर्ट ने इस मामले में क्या फैसला सुनाया?

कोर्ट ने माना कि संपत्ति ससुर की वैध संपत्ति है और दामाद को वहां रहने या स्वामित्व का कोई अधिकार नहीं है।

5. प्रॉपर्टी विवाद में दामाद क्या कानूनी रास्ता अपना सकता है?

वह दीवानी वाद के तहत निवेश की प्रतिपूर्ति मांग सकता है, लेकिन मालिकाना हक़ के लिए कानूनी दस्तावेज़ अनिवार्य हैं।

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