लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल के क्या अधिकार हैं?

What are the rights of a couple living in a live-in relationship

आज के आधुनिक समाज में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कई कपल विवाह के बिना एक साथ रहना पसंद करते हैं ताकि वे एक-दूसरे को बेहतर समझ सकें। हालांकि, इसे लेकर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं, लेकिन भारतीय न्यायपालिका ने ऐसे संबंधों को कई महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार प्रदान किए हैं। इस ब्लॉग में हम लिव-इन रिलेशनशिप के कानूनी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।

लिव-इन रिलेशनशिप क्या है?

लिव-इन रिलेशनशिप का अर्थ है — एक पुरुष और महिला का आपसी सहमति से विवाह किए बिना पति-पत्नी की तरह साथ रहना।

शादी और लिव-इन का मुख्य अंतर:

  • शादी एक विधिक अनुबंध है, जिसे सामाजिक और कानूनी मान्यता प्राप्त है।
  • लिव-इन रिलेशनशिप विवाह जैसी मान्यता भले पूरी तरह न मिली हो, लेकिन कानून ने इसमें कई संरक्षण प्रदान किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट निर्णय: “नंदकुमार व अन्य बनाम केरल राज्य (2018)” और “नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ (2018)” जैसे मामलों में कोर्ट ने वयस्कों को साथ रहने के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है।

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भारत में लिव-इन रिलेशनशिप की कानूनी स्थिति

भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को सीधे कानून में परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन न्यायिक व्याख्याओं के माध्यम से इसे मान्यता मिली है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • लंबे समय तक लिव-इन रहने पर इसे विवाह समान संबंध माना जा सकता है।
  • “Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005” के तहत महिला पार्टनर को संरक्षण मिलता है।
  • “इंद्रा शर्मा बनाम वी.के.वी. शर्मा (2013)” में सुप्रीम कोर्ट ने महिला के घरेलू हिंसा से संरक्षण को मान्यता दी।
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लिव-इन रिलेशनशिप में कपल्स के मुख्य अधिकार

  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत वयस्कों को अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने का अधिकार प्राप्त है।
  • महिला साथी का संरक्षण और भरण-पोषण का अधिकार: घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महिला साथी सुरक्षा और भरण-पोषण का दावा कर सकती है।
  • संतान के अधिकार: लिव-इन से जन्मे बच्चे को वैध संतान का दर्जा प्राप्त है और माता-पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार है।
  • संपत्ति में हिस्सेदारी: यदि कपल ने संयुक्त निवेश किया हो, तो अलगाव के समय संपत्ति के अधिकार का दावा किया जा सकता है।
  • पुलिस सुरक्षा का अधिकार: यदि सामाजिक या पारिवारिक धमकी मिले, तो कपल पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट में याचिका कर सकते हैं।

घरेलू हिंसा से सुरक्षा

महिला साथी “Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005” के तहत सुरक्षा आदेश, निवास आदेश और आर्थिक मुआवजे की मांग कर सकती है। 

उदाहरण: अगर पार्टनर प्रताड़ना करता है, तो मजिस्ट्रेट से तुरंत संरक्षण आदेश लिया जा सकता है।

लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों के अधिकार

“भारथा माता बनाम आर. विजय रेंगनाथन (2010)” केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिव-इन से जन्मे बच्चे को वैध संतान का दर्जा प्राप्त है।
ध्यान दें: वे संयुक्त परिवार की पैतृक संपत्ति में नहीं, बल्कि माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति में उत्तराधिकारी होंगे।

लिव-इन रिलेशनशिप और संपत्ति विवाद

साझा निवेश: यदि दोनों पार्टनर ने मिलकर संपत्ति खरीदी है, तो दोनों का बराबरी का दावा बनता है। अलगाव की स्थिति में Live-in Agreement या निवेश के दस्तावेज़ काम आते हैं।

लिव-इन एग्रीमेंट: अर्थिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने के लिए एक लिखित समझौता करना समझदारी भरा कदम है।

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पुलिस और कोर्ट की भूमिका

कोर्ट और पुलिस, दोनों वयस्कों के लिव-इन रहने के अधिकार की रक्षा करने के लिए बाध्य हैं।

महत्वपूर्ण केस: “लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2006)” — सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वयस्कों को अपनी पसंद का साथी चुनने की स्वतंत्रता है और हिंसा या धमकी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

सामाजिक कलंक और कानूनी उपाय

  • कानूनी सहायता लेना चाहिए।
  • आवश्यकता होने पर पुलिस सुरक्षा की मांग करनी चाहिए।
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।

लिव-इन रिलेशनशिप के लिए सुझाव और सावधानियां

  • लिव-इन एग्रीमेंट करें।
  • संयुक्त निवेश का प्रमाण रखें।
  • गोपनीयता का ध्यान रखें।
  • कानूनी सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष

लिव-इन रिलेशनशिप अब भारतीय कानून और समाज में धीरे-धीरे स्वीकार्यता प्राप्त कर रही है। कपल्स को चाहिए कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और किसी भी कानूनी समस्या में तुरंत विशेषज्ञ सलाह लें। जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।

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FAQs

1. क्या लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी शादी माना जाता है?

नहीं, लेकिन लंबे समय तक साथ रहने पर कुछ अधिकार मिल सकते हैं।

2. क्या लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक है?

 नहीं, पर एक लिव-इन एग्रीमेंट फायदेमंद हो सकता है।

3. अगर लिव-इन पार्टनर उत्पीड़न करे तो क्या करें?

घरेलू हिंसा कानून के तहत मजिस्ट्रेट से संरक्षण आदेश प्राप्त करें।

4. क्या लिव-इन रिलेशनशिप में खरीदी गई संपत्ति पर दावा बनता है?

हाँ, निवेश के आधार पर दावा किया जा सकता है।

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5. क्या माता-पिता जबरन लिव-इन कपल को अलग कर सकते हैं?

 नहीं, दोनों बालिग हों तो वे अपने निर्णय के स्वतंत्र हैं और कोर्ट से सुरक्षा पा सकते हैं।

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