प्यार, विश्वास और भावनात्मक जुड़ाव हर रिश्ते में महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन कभी-कभी एक व्यक्ति दूसरे के विश्वास और भावनाओं का गलत इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए करता है। एक सामान्य स्थिति तब होती है जब एक आदमी महिला से शादी का वादा करता है, उसका विश्वास जीतता है, और शारीरिक संबंध बनाता है, फिर बाद में उस वादे को तोड़ देता है। इससे गहरी भावनात्मक चोट, धोखा और यह सवाल उठता है: क्या इस तरह का एक्ट कानूनी तौर पर दंडनीय हो सकता है?
यह लेख “शादी के झूठे वादे पर शारीरिक संबंध” का कानूनी मतलब समझाता है, बताता है कि कानून क्या कहता है, अदालतों ने क्या फैसले दिए हैं और यदि कोई इस घटना का शिकार हो, तो उसे क्या कदम उठाने चाहिए।
शादी का झूठा वादा का क्या अर्थ है?
शादी का झूठा वादा उस स्थिति को कहते हैं जब एक व्यक्ति (आमतौर पर पुरुष) दूसरे से (आमतौर पर महिला से) यह कहता है कि वह उससे शादी करेगा। इस वादे के आधार पर महिला शारीरिक संबंध बनाने की सहमति देती है। लेकिन बाद में यह सामने आता है कि पुरुष का शादी करने का कोई इरादा नहीं था या उसके पास ऐसा करने की क्षमता या इच्छा नहीं थी।
ऐसी स्थिति में, महिला की सहमति झूठे वादे पर आधारित थी, और वह एक गलतफहमी में थी। भारतीय कानून के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को झूठे तथ्यों के आधार पर सहमति दी जाती है, तो उसे कानूनी तौर पर धोखा माना जाता है। इसे “वंचना” या “गलतफहमी” के तहत देखा जाता है, और ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
भारतीय कानून के तहत सहमति का क्या मतलब है?
“सहमति” शब्द बलात्कार के अपराध में बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 63 के अनुसार, अगर महिला ने अपनी स्वतंत्र और स्वैच्छिक सहमति नहीं दी, तो शारीरिक संबंध बलात्कार माने जाते हैं।
लेकिन, क्या होगा अगर महिला ने यह मानकर सहमति दी कि वह शादी करेगी? यहाँ पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 28 महत्वपूर्ण हो जाती है। यह कहती है कि अगर सहमति किसी गलत जानकारी या भ्रम के आधार पर दी जाए, तो उसे कानून के नजरिए से असल सहमति नहीं माना जाता।
तो, अगर कोई महिला यह मानकर शारीरिक संबंध बनाती है कि वह शादी करेगी, और बाद में पता चलता है कि वह वादा झूठा था या उसे धोखा देने के लिए किया गया था, तो उसकी सहमति को अस्वीकृत माना जा सकता है। इस स्थिति में, यह बलात्कार के तहत आ सकता है।
शादी का झूठा वादा करने पर क्या सज़ा होगी?
यहां भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कुछ महत्वपूर्ण धाराओं का विवरण दिया गया है, जो शादी के झूठे वादे पर शारीरिक संबंध बनाने से संबंधित अपराधों और उनकी सजा को स्पष्ट करते हैं:
1. धारा 64 – बलात्कार की सजा
- अपराध: यदि महिला ने अपनी स्वतंत्र और स्वैच्छिक सहमति नहीं दी, या सहमति धोखे, दबाव या गलत जानकारी के आधार पर दी गई हो, तो वह बलात्कार माना जाएगा।
- सजा: दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक, जुर्माना भी हो सकता है।
- महत्वपूर्ण: यदि महिला ने शादी के झूठे वादे पर सहमति दी और बाद में पता चला कि वह वादा झूठा था, तो यह बलात्कार माना जा सकता है।
2. धारा 28 – गलत जानकारी पर दी गई सहमति
- अर्थ: यदि किसी व्यक्ति ने डर, दबाव या गलत जानकारी के आधार पर सहमति दी है, तो वह सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं होगी।
- उदाहरण: यदि महिला ने यह मानकर शारीरिक संबंध बनाए कि वह शादी करेगी, और बाद में पता चला कि वह वादा झूठा था, तो उसकी सहमति अमान्य मानी जाएगी।
3. धारा 318 – धोखाधड़ी
- अपराध: यदि कोई व्यक्ति धोखे से किसी अन्य व्यक्ति को संपत्ति देने या किसी कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उसे नुकसान होता है, तो वह धोखाधड़ी मानी जाएगी।
- सजा: तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों।
- महत्वपूर्ण: यदि कोई पुरुष महिला से शादी का झूठा वादा करता है और उसे धोखे से शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रेरित करता है, तो यह धोखाधड़ी मानी जा सकती है।
4. धारा 81 – धोखे से शादी का विश्वास दिलाकर सहवास
- अपराध: यदि कोई पुरुष किसी महिला को धोखे से यह विश्वास दिलाता है कि वह उससे कानूनी रूप से शादीशुदा है और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो यह अपराध माना जाएगा।
- सजा: 10 साल तक की सजा, जुर्माना भी हो सकता है।
- महत्वपूर्ण: यह अपराध गैर-जमानती है, अर्थात आरोपी को जमानत मिलना कठिन हो सकता है।
पीड़ित को क्या करना चाहिए?
- शिकायत दर्ज करें (FIR): सबसे पहला कदम है नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर एफआईआर दर्ज कराना। आप बलात्कार और धोखाधड़ी के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि शिकायत में यह स्पष्ट किया जाए कि सहमति शादी के झूठे वादे पर दी गई थी, जिससे धोखा हुआ है।
- साक्ष्य एकत्रित करें: आपके पास जितने अधिक साक्ष्य होंगे, आपका मामला उतना मजबूत होगा। चैट्स, मैसेजेस, कॉल रिकॉर्ड्स, ईमेल्स, या कोई भी फोटो जो शादी के वादे और रिश्ते को दर्शाती हो, उन्हें एकत्रित करें। यह साक्ष्य पुलिस और न्यायालय में आपके पक्ष को साबित करने में सहायक होंगे।
- कानूनी सलाह लें: कानूनी प्रक्रिया जटिल हो सकती है, इसलिए किसी अनुभवी वकील से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है। वकील आपको आपके अधिकारों, संभावित धाराओं, और कानूनी प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन करेंगे। यदि आप वकील की फीस नहीं उठा सकते, तो नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (NALSA) से मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
- चिकित्सकीय जांच (Medical Examination): यदि घटना हाल ही में हुई है, तो चिकित्सकीय जांच कराना आवश्यक है। सरकारी अस्पताल या किसी पंजीकृत चिकित्सक से जांच कराएं। चिकित्सक आपके शरीर की जांच करेंगे, साक्ष्य एकत्र करेंगे और रिपोर्ट तैयार करेंगे। यह रिपोर्ट आपके मामले को मजबूत बनाने में सहायक होगी।
- मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करें: एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस मजिस्ट्रेट के सामने आपका बयान दर्ज कराएगी। यह बयान आपके मामले का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। इसमें आपको घटना की पूरी जानकारी, साक्ष्य, और आपके द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण देना होगा।
झूठे शादी के वादे को साबित कैसे करें?
- अगर किसी महिला से शादी के वादे पर शारीरिक संबंध बनाए और बाद में पता चला कि वह वादा झूठा था, तो कोर्ट कुछ बातों को ध्यान में रखकर फैसला करती है।
- सबसे पहले देखा जाता है कि क्या शुरुआत में शादी का वादा सच्चा था या सिर्फ धोखा देने के लिए किया गया था। क्या उस पुरुष ने बार-बार लड़की को भरोसा दिलाया, जबकि उसे पता था कि वह कभी शादी नहीं करेगा?
- अगर आपके पास चैट्स, मैसेज, तस्वीरें या कोई गवाह हैं जो यह दिखाते हैं कि शादी का वादा किया गया था, तो ये सब आपके केस को मजबूत कर सकते हैं।
- इसके अलावा, अगर वह आदमी पहले से शादीशुदा था या सगाई कर चुका था, और फिर रिश्ता खत्म कर दिया, तो इससे साफ होता है कि उसका इरादा शुरू से ही सही नहीं था।
- कोर्ट के लिए सबसे जरूरी बात यह होती है कि वादा करते समय उस आदमी का इरादा क्या था। अगर महिला यह दिखा सके कि उसे शुरू से धोखा दिया गया, तो उसका केस मजबूत माना जाएगा।
पुलिस और अदालतों की भूमिका
पुलिस की भूमिका:
एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस मामले की जांच शुरू करती है। उसे यह देखना होता है कि क्या महिला की सहमति झूठे वादे पर आधारित थी। इसके लिए पुलिस संबंधित व्यक्ति से बयान लेती है, साक्ष्य एकत्र करती है, और गवाहों से पूछताछ करती है। यदि पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं, तो पुलिस आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल करती है।
अदालत की भूमिका:
मामला अदालत में जाने पर, न्यायाधीश यह निर्धारित करते हैं कि महिला की सहमति वास्तविक थी या वह धोखे में दी गई थी। इसके लिए अदालत निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करती है:
- क्या शादी का वादा वास्तविक था या झूठा?
- क्या आरोपी ने जानबूझकर धोखा दिया था?
- क्या महिला की सहमति धोखे या गलत जानकारी पर आधारित थी?
- क्या आरोपी ने महिला को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया था?
इन बिंदुओं पर विचार करने के बाद, अदालत यह तय करती है कि क्या आरोपी ने बलात्कार किया है या नहीं। यदि अदालत यह पाती है कि महिला की सहमति धोखे पर आधारित थी, तो आरोपी को बलात्कार का दोषी ठहराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: “सिर्फ ब्रेकअप अपराध नहीं है”
सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में प्रशांत बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) मामले में फैसला सुनाया कि यदि दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने हैं और बाद में शादी न हो, तो उसे बलात्कार नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई महिला किसी पुरुष से शादी का वादा सुनकर सहमति देती है, लेकिन बाद में वह वादा झूठा साबित होता है, तो यह बलात्कार हो सकता है। हालांकि, अगर दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से थे और बाद में शादी न हो पाई, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा।
महत्वपूर्ण बातें:
- सिर्फ ब्रेकअप को अपराध नहीं माना जा सकता।
- यदि किसी ने शादी का झूठा वादा किया और महिला ने उसी आधार पर संबंध बनाए, तो यह बलात्कार हो सकता है।
- महिला की सहमति वास्तविक होनी चाहिए, न कि धोखे पर आधारित।
- कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोनों वयस्कों के बीच आपसी सहमति से संबंध थे और बाद में शादी नहीं हो पाई, इसलिए इसे अपराध नहीं माना जा सकता।
बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला – FIR रद्द करने से इनकार
अगस्त 2024 में प्रमोद धनजी पुरबिया बनाम महाराष्ट्र राज्य केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की FIR रद्द करने से मना कर दिया, जिस पर शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप था।
कोर्ट ने कहा कि भले ही महिला ने अपनी मर्जी से संबंध बनाए हों, लेकिन अगर वह सहमति शादी के वादे के धोखे में दी गई थी, तो वह सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं मानी जाएगी। इसे कानून में “गलत जानकारी के आधार पर दी गई सहमति” कहा जाता है।
इसलिए अगर कोई पुरुष केवल शादी का झूठा वादा कर किसी महिला से शारीरिक संबंध बनाता है, तो वह बलात्कार के दायरे में आ सकता है। कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे मामलों में FIR रद्द नहीं की जा सकती, क्योंकि यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
उड़ीसा हाई कोर्ट का फैसला: “प्यार में विफलता कोई अपराध नहीं”
फ़रवरी 2025 में उड़ीसा हाई कोर्ट ने मनोज कुमार मुंडा बनाम ओडिशा राज्य मामले में बलात्कार के आरोपों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई रिश्ता शादी में परिणत नहीं होता, तो यह व्यक्तिगत निराशा का कारण हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून हर टूटे हुए वादे को अपनी सुरक्षा प्रदान नहीं करता और न ही यह हर असफल रिश्ते पर आपराधिकता थोपता है। इसलिए, कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
निष्कर्ष
अगर किसी महिला से सिर्फ शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं, और उस वादे को निभाने का कोई इरादा नहीं होता, तो यह एक गंभीर अपराध हो सकता है। कानून ऐसे धोखे और भावनात्मक शोषण से महिलाओं को सुरक्षा देता है। लेकिन यह भी ज़रूरी है कि धोखे और गलत इरादे का सबूत हो।
हर रिश्ता जो शादी तक नहीं पहुंचता, वो अपराध नहीं होता। लेकिन अगर उस रिश्ते में धोखा और झूठ शामिल हो, तो पीड़िता को न्याय पाने और कानूनी कार्रवाई का पूरा अधिकार है।
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FAQs
Q1: अगर मैंने शादी के वादे पर अपनी मर्जी से संबंध बनाए थे, तो क्या मैं रेप का केस कर सकती हूं?
हां, अगर वह वादा झूठा था और सिर्फ संबंध बनाने के लिए किया गया था, तो यह रेप माना जा सकता है।
Q2: अगर उस व्यक्ति ने बाद में अपना मन बदल लिया हो तो?
अगर शुरू में उसका इरादा सच में शादी करने का था और बाद में किसी कारण से शादी नहीं हो पाई, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
Q3: क्या इस तरह की शिकायत दर्ज करने की कोई समय सीमा होती है?
शिकायत जितनी जल्दी करें उतना अच्छा है, लेकिन अगर आपके पास सबूत हैं तो थोड़ी देर से भी शिकायत की जा सकती है।
Q4: क्या पुरुष भी शिकायत कर सकते हैं अगर उनके साथ धोखा हुआ हो?
रेप से जुड़ा कानून मुख्य रूप से महिलाओं की सुरक्षा के लिए है, लेकिन अगर किसी पुरुष को धोखा या मानसिक शोषण हुआ है, तो वो धोखाधड़ी या अन्य कानूनों के तहत शिकायत कर सकता है।