क्या किसी को बार-बार कॉल करके धमकाना साइबर क्राइम है?

Is threatening someone by calling them repeatedly a cyber crime

डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन जब यही तकनीक किसी को डराने, धमकाने या मानसिक रूप से परेशान करने का जरिया बन जाए, तो यह चिंता का विषय है। 

क्या बार-बार फोन कॉल कर के किसी को डराना या धमकाना केवल बुरा व्यवहार है या ये कानूनन अपराध भी है?

आज का यह ब्लॉग इसलिए ज़रूरी है क्योंकि बहुत से लोग ऐसे व्यवहार को सहन करते हैं, अनदेखा करते हैं या फिर डर के कारण आवाज़ नहीं उठाते। इस लेख में हम समझेंगे कि इस तरह की गतिविधियाँ किस हद तक अपराध की श्रेणी में आती हैं और पीड़ित व्यक्ति को क्या-क्या कानूनी उपाय उपलब्ध हैं।

कॉल पर धमकाना – क्या होता है इसका कानूनी अर्थ?

बार-बार कॉल करना और मानसिक उत्पीड़न

  • अगर कोई व्यक्ति आपको बार-बार कॉल करता है, विशेष रूप से बिना सहमति के और आपकी मना करने के बावजूद, तो यह हैरासमेंट या मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।
  • यह व्यवहार विशेष रूप से खतरनाक तब होता है जब कॉल्स में धमकियाँ, आपत्तिजनक भाषा या अश्लील बातें शामिल हों।

धमकी की परिभाषा

  • “धमकी” का सीधा अर्थ है – किसी को नुकसान पहुँचाने की चेतावनी देना, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक हो या सामाजिक।
  • धारा 503 आईपीसी के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति आपको इस इरादे से डराता है कि आप उसकी बात मानें या किसी काम से डर के कारण बचें, तो यह अपराध है।

निजता के अधिकार का उल्लंघन

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को निजता का अधिकार (Right to Privacy) है। बार-बार कॉल करके इस अधिकार का उल्लंघन करना एक गंभीर विषय है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

बार-बार कॉल करना कब बन जाता है जुर्म?

हर कॉल करना जुर्म नहीं होता। लोग एक-दूसरे को रोज़ कॉल करते हैं। लेकिन जब किसी का मकसद आपको परेशान करना, डराना, धमकाना या आपकी शांति भंग करना हो, तब ये कॉल करना अपराध बन जाता है।

यहाँ कुछ संकेत हैं जब बार-बार कॉल करना कानूनन गलत माना जाता है:

  • कोई व्यक्ति बार-बार कॉल करता है, भले ही आपने साफ मना कर दिया हो।
  • कॉल में आपको या आपके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है।
  • कॉल में गालियाँ दी जाती हैं या अश्लील बातें की जाती हैं।
  • इन कॉल्स से आप मानसिक रूप से परेशान या डर महसूस करते हैं।
  • कॉल आधी रात या अजीब समय पर किए जाते हैं ताकि आपकी नींद और शांति खराब हो।

अगर ऐसा हो रहा है, तो आप कानून की मदद ले सकते हैं।

कौन से कानून आपको बार-बार आने वाली धमकी भरी कॉल से बचाते हैं?

भारत में, इस तरह के व्यवहार को कई कानून कवर करते हैं – भले ही यह “सिर्फ़” फ़ोन पर ही क्यों न हो रहा हो। यहाँ सबसे महत्वपूर्ण कानून दिए गए हैं:

इसे भी पढ़ें:  क्या एक नाबालिग को कानूनी रूप से संपत्ति बेचने का अधिकार है?

भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023

  • धारा 351 – आपराधिक डराना-धमकाना:  यदि कोई व्यक्ति आपको या आपके परिवार को चोट पहुँचाने, मानहानि करने या संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की धमकी देता है, तो यह अपराध माना जाता है। इसमें 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • धारा 351(3) – यदि कोई व्यक्ति आपको जान से मारने, गंभीर चोट पहुँचाने या संपत्ति को आग से जलाने की धमकी देता है, तो यह अपराध माना जाता है। इसमें 7 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • धारा 351 (4) – यदि कोई व्यक्ति गुमनाम तरीके से, जैसे प्राइवेट नंबर से कॉल करके, आपको डराता है या धमकाता है, तो यह अपराध माना जाता है। इसमें 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।ss
  • धारा 78 – पीछा करना: यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का बार-बार पीछा करता है या उसे बार-बार संपर्क करने की कोशिश करता है, जबकि महिला ने स्पष्ट रूप से मना किया हो, तो यह अपराध माना जाता है। पहली बार अपराध करने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। यदि दोबारा अपराध किया जाए, तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000

  • धारा 66 – कंप्यूटर संसाधनों का दुरुपयोग: यह धारा कंप्यूटर संसाधनों का दुरुपयोग करने, जैसे कि कंप्यूटर वायरस फैलाना, डाटा चोरी करना, या सिस्टम को नुकसान पहुँचाना, को अपराध मानती है। इसमें दोषी पाए जाने पर जुर्माना और कारावास की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 67 – अश्लील सामग्री भेजना: यह धारा इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री भेजने, प्रकाशित करने या प्रसारित करने को अपराध मानती है। इसमें दोषी पाए जाने पर जुर्माना और कारावास की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 72 – अनधिकृत रूप से किसी की निजी जानकारी साझा करना: यह धारा किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को बिना अनुमति के साझा करने को अपराध मानती है। इसमें दोषी पाए जाने पर जुर्माना और कारावास की सजा का प्रावधान है।

2015 में, श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66A को असंवैधानिक घोषित किया। कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) का उल्लंघन मानते हुए कहा कि इस धारा में प्रयुक्त शब्द जैसे “गंभीर रूप से आपत्तिजनक” और “धमकीपूर्ण” अत्यंत अस्पष्ट हैं, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध लगता है। इस निर्णय के बाद, धारा 66A को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया।

इसे भी पढ़ें:  सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो डालना कितना बड़ा अपराध है? जानिए सजा और कानूनी उपाय

हालांकि, इसके बावजूद, कुछ मामलों में पुलिस और न्यायालयों ने धारा 66A का संदर्भ दिया है। उदाहरण के लिए, 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी नागरिक धारा 66A के तहत अभियुक्त नहीं हो सकता, क्योंकि इसे असंवैधानिक घोषित किया जा चुका है। फिर भी, कुछ राज्य न्यायालयों में इस धारा का संदर्भ पाया गया है, जो कि कानूनी दृष्टि से अनुचित है।

इसलिए, धारा 66A को कानूनी रूप से समाप्त कर दिया गया है, और इसके तहत कोई भी अभियोजन अवैध है।

पीड़ित के पास क्या कानूनी विकल्प होते हैं?

अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को बार-बार फोन कॉल्स से धमकाया जा रहा है, तो आप ये आसान कदम उठा सकते हैं:

सबूत इकट्ठा करें

  • कॉल्स की लिस्ट सेव करें
  • स्क्रीनशॉट लें
  • अगर कोई गाली-गलौज या धमकी वाली रिकॉर्डिंग है, तो उसे भी सुरक्षित रखें
  • कब और कितनी बार कॉल आई, इसका ध्यान रखें

नंबर ब्लॉक करें

  • अपने मोबाइल में उस नंबर को ब्लॉक कर दें
  • इससे कॉल आनी बंद हो सकती है, भले ही पूरी तरह न रुके

पुलिस या साइबर सेल में शिकायत करें

  • अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करें
  • या ऑनलाइन शिकायत करें: www.cybercrime.gov.in

मोबाइल कंपनी को बताएं

  • अपनी मोबाइल सर्विस देने वाली कंपनी को जानकारी दें
  • वे नंबर को ट्रेस या ब्लॉक करने में मदद कर सकते हैं

कानूनी सलाह लें

  • किसी वकील से बात करें
  • वो आपको बताएंगे कि कैसे केस दर्ज कर सकते हैं और आपके हक की रक्षा कैसे होगी

धमकी भरे फोन कॉल्स को लेकर आम गलतफहमियाँ

गलतफहमी 1: “अगर कुछ ऑनलाइन नहीं है, तो वो साइबर क्राइम नहीं है।”

सच: मोबाइल फोन भी डिजिटल डिवाइस हैं। बार-बार धमकी देना या परेशान करना साइबर क्राइम में आ सकता है।

गलतफहमी 2: “सिर्फ शारीरिक धमकी ही गंभीर मानी जाती है।”

सच: मानसिक परेशान करना, डराना या भावनात्मक धमकी देना भी कानून के तहत सजा के लायक अपराध है।

गलतफहमी 3: “सिर्फ कॉल्स के लिए पुलिस के पास जाना बेकार है।”

सच: बार-बार आने वाली धमकी भरी कॉल्स बहुत गंभीर होती हैं। इन्हें नजरअंदाज करना हालात को और खराब कर सकता है।

श्रेयस अय्यर बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया और अन्य (साइबर अपराध और स्पैम कॉल पर जनहित याचिका)

15 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस भेजा। ये नोटिस एक जनहित याचिका (PIL) पर दिया गया था, जिसे बेंगलुरु के एक व्यक्ति ने दाखिल किया था। याचिका में बढ़ते साइबर अपराधों और बिना मंजूरी आने वाले स्पैम कॉल्स पर चिंता जताई गई थी। इसमें यह मांग की गई कि मोबाइल कंपनियाँ CNAP (Calling Name Presentation) सर्विस लागू करें, जिससे कॉल करने वाले का नाम फोन की स्क्रीन पर दिखे और लोग स्पैम कॉल्स से बच सकें। कोर्ट ने इस समस्या को गंभीर माना और दूरसंचार विभाग (DoT) से जवाब माँगा है।

इसे भी पढ़ें:  शादी की उम्र पूरी किए बिना पति-पत्नी की तरह एक साथ कैसे रह सकते हैं?

सतीश कुमार बनाम राजस्थान राज्य (गोपनीयता के लिए नाम गुप्त रखा गया है)

जनवरी 2025 में एक अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति की सज़ा को रद्द कर दिया, जिस पर पीछा करने (धारा 354D) और डराने-धमकाने (धारा 506) का आरोप था। कोर्ट ने देखा कि अपील के दौरान आरोपी और शिकायत करने वाली महिला ने आपस में शादी कर ली थी। इसका मतलब था कि दोनों के बीच पहले से एक निजी रिश्ता था। कोर्ट ने कहा कि ये दोनों अपराध निजी प्रकार के हैं और शादी होने से यह साफ होता है कि उस समय दोनों आपसी रिश्ते में थे। इसलिए कोर्ट ने मामला खत्म कर दिया।

निष्कर्ष: हर धमकी को गंभीरता से लें

अगर कोई आपको बार-बार फोन करके डराने या परेशान करने की कोशिश कर रहा है, तो यह सिर्फ एक छोटी सी परेशानी नहीं, बल्कि एक गंभीर अपराध है। चाहे धमकी मोबाइल कॉल से दी जाए, मैसेजिंग ऐप पर हो या सोशल मीडिया के ज़रिए, कानून आपकी सुरक्षा के लिए बना है और यह आपके साथ है। आपको सुरक्षित महसूस करने का पूरा हक है। अगर आप ऐसी किसी स्थिति का शिकार हैं, तो चुप न रहें। कॉल्स और मैसेज के सबूत संभालें, पुलिस या साइबर सेल में रिपोर्ट करें और ज़रूरत पड़े तो कानूनी मदद लें। आज का कानून साइबर क्राइम को हर रूप में पहचानता है, अगर वह एक मामूली सी फोन कॉल से शुरू हुआ हो। खुद को अकेला मत समझिए, मदद जरूर मिलेगी।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या सिर्फ कॉल करना भी साइबर क्राइम हो सकता है?

हाँ, अगर कॉल बार-बार की जाए और धमकी/उत्पीड़न शामिल हो तो यह साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।

2. कॉल करने वाला नंबर प्राइवेट हो तो क्या पुलिस ट्रेस कर सकती है?

जी हाँ, पुलिस मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर और साइबर विशेषज्ञों की मदद से ट्रेस कर सकती है।

3. महिलाओं के लिए क्या विशेष साइबर हेल्पलाइन हैं?

हाँ, 112 (इमरजेंसी), 181 (महिला हेल्पलाइन) और cybercrime.gov.in जैसे प्लेटफॉर्म मौजूद हैं।

4. कितनी बार कॉल करना ‘हैरासमेंट’ माना जाएगा?

यह परिस्थिति पर निर्भर करता है, परंतु बार-बार अनचाही कॉल्स मानसिक उत्पीड़न मानी जाती हैं।

5. क्या कोर्ट में कॉल रिकॉर्डिंग सबूत के रूप में मान्य है?

हाँ, यदि वह असली और बिना छेड़छाड़ के हो तो यह प्रमाण के रूप में स्वीकार्य है।

Social Media