तलाक का केस करना कभी भी सरल नहीं होता, खासकर जब आपका पति NRI हो। कई भारतीय महिलाएं यह सोचती हैं कि क्या वे भारत में तलाक का केस कर सकती हैं यदि उनका पति विदेश में रहता है, कानूनी प्रक्रिया क्या होगी, और विदेश में पति को तलाक के दस्तावेज़ कैसे भेजे जाएं। अच्छी बात यह है कि भारतीय कानून इस विषय में स्पष्ट हैं।
आप NRI पति के खिलाफ भारत में तलाक का केस दाखिल कर सकती हैं, बस कुछ कानूनी शर्तों का पालन आवश्यक है। यह ब्लॉग पूरी प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाएगा।
NRI पति कौन होते हैं?
NRI यानी Non-Resident Indian पति वह होते हैं जो भारत के होते हैं लेकिन काम, व्यापार या किसी और वजह से भारत के बाहर रहते हैं। ऐसे लोग या तो भारतीय पासपोर्ट रखते हैं या OCI (Overseas Citizen of India) कार्ड रखते हैं। आसान भाषा में, NRI पति वो होते हैं जो विदेश में रहते हुए भी भारत से जुड़े होते हैं।
क्या आप अपने NRI पति के खिलाफ भारत में तलाक का केस कर सकती हैं?
जी हाँ! अगर आप भारत में रहती हैं या यहाँ आपकी आम तौर पर रहने की जगह है, तो आप भारतीय फैमिली कोर्ट में तलाक का केस कर सकती हैं, चाहे आपका पति विदेश में NRI हो।
तलाक के लिए कोर्ट कौन सा होगा?
- वो फैमिली कोर्ट जहाँ पत्नी रहती है, या
- वो फैमिली कोर्ट जहाँ पति और पत्नी आखिरी बार साथ में रहते थे, या
- वो फैमिली कोर्ट जहाँ शादी हुई थी।
- इनमें से कोई भी कोर्ट आपका तलाक का केस सुन सकता है।
विदेश में फंसी पत्नी के लिए क्या विकल्प हैं?
अगर पत्नी किसी दूसरे देश में रह रही है, तो वह वहां की अदालत में भी तलाक का केस शुरू कर सकती है। लेकिन ध्यान रखें – उस देश की अदालत में केस करने के लिए कुछ कानूनी बातें ज़रूरी होती हैं।
उदाहरण के तौर पर, शिव इंदरसेन मीरचंदानी बनाम नताशा हरीश आडवाणी (2001) केस में स्पष्ट किया गया कि किसी अन्य देश में रहने मात्र से वहां का डोमिसाइल नहीं माना जाता।
जब तक पत्नी स्थायी रूप से वहां रहने का इरादा या कदम (जैसे पुनर्विवाह) न उठाए, उसका कानूनी डोमिसाइल वही रहेगा जो उसके पति का है।
NRI पति से तलाक के सामान्य कारण
- घरेलू हिंसा या उत्पीड़न: शारीरिक या मानसिक अत्याचार, गाली-गलौज, धमकाना आदि।
- आर्थिक शोषण: पति के द्वारा पैसों की कमी या खर्च बंद करना, पत्नी को आर्थिक सहायता न देना।
- परित्याग: पति अचानक पत्नी को छोड़ कर विदेश में रहना और संपर्क न करना।
- धोखाधड़ी या गलत जानकारी पर विवाह: शादी के समय पति ने झूठ बोला हो, जैसे दूसरा विवाह, वैवाहिक स्थिति छुपाना।
- मानसिक उत्पीड़न: झूठे आरोप लगाना, मानसिक तनाव देना।
- विवाहेतर संबंध: पति का किसी और से संबंध रखना, जिससे विवाह टूटता है।
ये कारण भारत में तलाक के लिए मान्य हैं और इन्हें कोर्ट में साबित कराना होता है।
तलाक के लिए कौन-कौन से कानून लागू होते हैं?
धर्म / विवाह का प्रकार | लागू होने वाला कानून |
हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध | हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 |
मुस्लिम | मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (शरियत कानून) |
ईसाई | ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 |
अंतरधार्मिक विवाह या विदेश में विवाह | विशेष विवाह अधिनियम, 1954 |
पारसी | पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 |
यहूदी या अन्य विशेष समुदाय | उनके संबंधित पर्सनल लॉ |
नोट: तलाक का कानून इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी शादी किस धर्म या कानून के तहत हुई थी। अगर आपको यह तय करने में मदद चाहिए कि आपके मामले में कौन सा कानून लागू होगा, तो आप मुझसे पूछ सकती हैं।
भारत में तलाक फाइल करने की प्रक्रिया क्या है?
1. तलाक लेने का कारण तय करें: सबसे पहले यह तय करें कि आप किस वजह से तलाक लेना चाहती हैं।
- अगर आप दोनों तैयार हैं, तो म्युचुअल कंसेंट डाइवोर्स (आपसी सहमति से तलाक) जल्दी और आसान होता है।
- अगर पति राज़ी नहीं है, तो आप क्रूरता, छोड़कर चले जाना, धोखा जैसे कारणों पर कंटेस्टेड डाइवोर्स (एकतरफा तलाक) का केस कर सकती हैं।
2. एक अच्छे फैमिली वकील से संपर्क करें: ऐसे वकील से बात करें जिसे NRI तलाक मामलों का अनुभव हो। वकील आपकी मदद करेगा:
- तलाक की पेटिशन तैयार करने में
- जरूरी कागज़ों की जानकारी देने में
- कोर्ट की पूरी प्रक्रिया में साथ देने में
3. तलाक की पेटिशन तैयार करें: आपका वकील तलाक की अर्जी में ये बातें लिखेगा:
- आप और आपके पति की जानकारी
- शादी की तारीख और जगह
- तलाक का कारण
- कारण से जुड़े सबूत
- आप कोर्ट से क्या चाहती हैं (तलाक, गुज़ारा भत्ता, बच्चों की कस्टडी आदि)
4. फैमिली कोर्ट में पेटिशन फाइल करें: जहाँ कानूनी रूप से सही हो (जैसे पत्नी का घर, शादी की जगह), वहाँ फैमिली कोर्ट में केस फाइल करें। कोर्ट केस रजिस्टर करेगी और पति को नोटिस भेजेगी।
5. विदेश में रह रहे पति को नोटिस भेजना: अगर पति विदेश में है, तो उसे नोटिस भेजने के कुछ तरीके हैं:
- इंडियन एम्बेसी या कॉन्सुलेट से
- रजिस्टर्ड पोस्ट या कूरियर से उसके विदेशी पते पर
- स्थानीय व्यक्ति के जरिए (जैसे वहां का प्रोसेस सर्वर)
- ईमेल/व्हाट्सऐप (सिर्फ सपोर्टिंग सबूत के तौर पर)
- आपका वकील बताएगा कि कौन सा तरीका सबसे सही रहेगा।
6. पति का जवाब
- अगर पति जवाब देता है और सहमत है, तो केस जल्दी खत्म हो सकता है।
- अगर वह विरोध करता है, तो दोनों पक्ष कोर्ट में अपना पक्ष और सबूत पेश करेंगे।
7. कोर्ट में सुनवाई और सबूत: कोर्ट में पेश होकर आप सबूत दे सकती हैं, जैसे:
- फोटो
- मेडिकल रिपोर्ट
- गवाहों के एफिडेविट
- ईमेल, चैट या कॉल रिकॉर्ड
8. तलाक का फैसला (डिक्री): जब कोर्ट को लगे कि आपके पास सही कारण हैं, तो वह तलाक की डिक्री जारी कर देगी और आपकी शादी कानूनी रूप से खत्म हो जाएगी।
NRI पति के खिलाफ तलाक दाखिल करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
- शादी का प्रमाणपत्र – यह दिखाने के लिए कि आपकी शादी कानूनी रूप से हुई थी।
- आपका पता प्रमाण (Address Proof) – जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली का बिल आदि।
- पति का पासपोर्ट और वीज़ा की कॉपी – अगर आपके पास हो, तो यह बहुत मददगार होता है।
- पति से बातचीत के रिकॉर्ड – जैसे मैसेज, ईमेल, कॉल रिकॉर्ड आदि, जिससे रिश्ते की स्थिति साफ हो सके।
- तलाक के कारण से जुड़े सबूत – जैसे मेडिकल रिपोर्ट, फोटो, गवाहों के हलफनामे, जिससे तलाक का कारण साबित किया जा सके।
- एफिडेविट – जिसमें आप अपनी शादी की जानकारी और तलाक की वजह लिखेंगी।
- आपके निवास का प्रमाण – यह जरूरी है ताकि कोर्ट तय कर सके कि आपका केस किस कोर्ट में चल सकता है (Jurisdiction के लिए)।
आपके वकील इन कागज़ों को इकट्ठा करने और कोर्ट में पेश करने में आपकी पूरी मदद करेंगे।
भारतीय कानून के तहत विदेशी तलाक़ डिक्री की वैधता?
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 13 के अनुसार, कोई विदेशी न्यायालय का निर्णय भारत में मान्य नहीं होगा यदि:
- वह निर्णय किसी सक्षम न्यायालय द्वारा नहीं दिया गया हो,
- वह निर्णय मामले के मेरिट्स पर आधारित न हो,
- वह निर्णय भारतीय कानून या सार्वजनिक नीति के खिलाफ हो,
- वह निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ हो,
- वह धोखाधड़ी द्वारा प्राप्त किया गया हो या
- वह भारतीय कानून के उल्लंघन पर आधारित हो।
प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन
“प्राकृतिक न्याय” का उल्लंघन तब माना जाता है जब:
- प्रतिवादी को उचित अवसर नहीं दिया गया हो अपनी बात रखने का,
- वहां निष्पक्षता की कमी हो, जैसे न्यायाधीश का पक्षपाती होना,
- प्रतिवादी को आवश्यक दस्तावेज़ों की जानकारी नहीं दी गई हो या
- प्रतिवादी को गवाहों की परीक्षा का अवसर नहीं दिया गया हो।
महत्वपूर्ण निर्णय
- सत्या बनाम तेजा सिंह (1974): इस मामले में, पति ने विदेश में तलाक़ के लिए आवेदन किया जबकि पत्नी भारत में निवास करती थीं और उन्हें नोटिस नहीं दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन मानते हुए विदेशी डिक्री को अस्वीकार कर दिया।
- य. नरसिंह राव बनाम य. वेंकट लक्ष्मी (1991): सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि विदेशी अदालत ने भारतीय कानून के अनुसार तलाक़ के आधार पर निर्णय नहीं दिया, तो वह डिक्री भारत में मान्य नहीं होगी।
क्या करें?
यदि आपको लगता है कि आपके खिलाफ विदेश में एकतरफा तलाक़ डिक्री दी गई है और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन हुआ है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
- भारतीय अदालत में आवेदन: आप भारतीय अदालत में आवेदन कर सकते हैं कि वह विदेशी डिक्री को मान्यता न दे, यदि वह भारतीय कानून या प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।
- साक्ष्य प्रस्तुत करें: आपको यह साबित करना होगा कि आपको उचित अवसर नहीं दिया गया अपनी बात रखने का, या अन्य किसी प्रकार का उल्लंघन हुआ है।
- कानूनी सहायता प्राप्त करें: एक अनुभवी पारिवारिक अधिवक्ता से सलाह लें जो अंतरराष्ट्रीय विवाह और तलाक़ मामलों में विशेषज्ञता रखते हों।
अगर पति भारत नहीं लौटता तो क्या विकल्प हैं?
- एक्स पार्टी डाइवोर्स: जब पति कोर्ट में नहीं आता तो पत्नी अकेले ही तलाक की याचिका पर सुनवाई करवा सकती है।
- रेड कार्नर नोटिस: पुलिस के माध्यम से पति को पकड़ने का आदेश जारी किया जा सकता है।
- पासपोर्ट रद्द करवाना: कोर्ट की मदद से पति का पासपोर्ट रद्द कराया जा सकता है।
- लुक आउट सर्कुलर (LOC): एयरपोर्ट पर पति को रोकने का आदेश।
- मेंटेनेंस के लिए आवेदन: पति से भरण-पोषण की मांग की जा सकती है।
- घरेलू हिंसा के तहत केस दर्ज कराना: अगर पति मारपीट करता है तो घरेलू हिंसा कानून के तहत केस कर सकते हैं।
NRI पति के खिलाफ भारत में तलाक से जुड़े अहम फैसले
मुंबई हाई कोर्ट ने कहा: दुबई की तलाक वाली अदालत का फैसला भारत में नहीं चलेगा
मुंबई की अदालत ने यह फैसला दिया कि अगर आपका पति विदेश में जैसे दुबई में तलाक लेता है, तो वह भारत में ऑटोमैटिकली मान्य नहीं होगा। भारत की अदालतों को इस मामले में अधिकार है और तलाक भारतीय कानून के तहत ही होना चाहिए। इसका मतलब है कि विदेश में मिले तलाक का यहाँ भी पालन होगा, ये जरूरी नहीं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी NRI पिता को दी
दिल्ली की अदालत ने एक बच्चे की कस्टडी (पालन-पोषण) उसके पिता को दी, जो विदेश में रहता था। अदालत ने बच्चे के हित को सबसे ऊपर रखा और सोचा कि पिता के पास बच्चे के लिए बेहतर माहौल है। इसका मतलब है कि बच्चा किसके पास रहेगा, ये बच्चे की भलाई पर निर्भर करता है, चाहे माता-पिता कहीं भी रहते हों।
अनिल कुमार जैन बनाम माया जैन (2009)
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक NRI पति यह दावा नहीं कर सकता कि उसके पास भारत में कोई संपत्ति नहीं है, इसलिए वह पत्नी को गुज़ारा भत्ता देने से बच सकता है। कोर्ट ने माना कि पति की विदेश में उच्च आय और संपत्ति के बावजूद, पत्नी को गुज़ारा भत्ता देने की उसकी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती। इस निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि NRI पति को भारत में संपत्ति न होने का दावा करके पत्नी से गुज़ारा भत्ता देने से बचने का अधिकार नहीं है। पत्नी की आर्थिक स्थिति और पति की आय को ध्यान में रखते हुए गुज़ारा भत्ता निर्धारित किया जाएगा।
अहमदाबाद की अदालत ने तलाक के बाद भी पति को पत्नी को भरण-पोषण देना जरूरी बताया
अहमदाबाद की अदालत ने कहा कि अगर पति और पत्नी तलाक ले लेते हैं, तो पति को अपनी पत्नी को महीना में भरण-पोषण (मैनटेनेंस) देना होगा, भले ही तलाक का कारण पत्नी की गलती हो। पत्नी को बिना रख-रखाव छोड़ना सही नहीं है।
दिल्ली की अदालत ने तलाक के बाद पति के माता-पिता की विदेश यात्रा पर रोक हटाई
दिल्ली की एक अदालत ने फैसला दिया कि तलाक के बाद पति के माता-पिता की विदेश यात्रा पर रोक नहीं लगाई जा सकती। तलाक के बाद ऐसी कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए।
निष्कर्ष
NRI पति से तलाक लेना मुश्किल जरूर हो सकता है, लेकिन भारत के कानून महिलाओं को मजबूत सुरक्षा देते हैं। सही कानूनी सलाह लेकर, धैर्य से काम लें तो आप अपनी समस्या का समाधान पा सकती हैं। अनुभवी वकील की मदद से प्रक्रिया आसान और सही दिशा में होती है।
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FAQs
1. अगर मेरा NRI पति भारत नहीं आता तो क्या मैं तलाक का केस कर सकती हूँ?
हाँ, आप भारत में तलाक का केस कर सकती हैं। अगर पति कोर्ट में हाज़िर नहीं होता, तो कोर्ट एकतरफा (ex-parte) फैसला दे सकती है।
2. NRI पति के खिलाफ तलाक की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
यह केस की स्थिति पर निर्भर करता है।
- आपसी सहमति से तलाक में लगभग 6 महीने से 1 साल लग सकता है।
- विवादित तलाक में 1 से 3 साल या उससे ज्यादा भी लग सकते हैं।
3. अगर पति विदेश में छिपा हो तो क्या कर सकते हैं?
फिर भी आप केस फाइल कर सकती हैं। कोर्ट नोटिस भेजने के लिए राजनयिक (diplomatic) तरीके अपनाता है जैसे कि एम्बेसी के ज़रिए।
4. क्या मैं NRI पति से गुज़ारा भत्ता (maintenance) मांग सकती हूँ?
हाँ, आप गुज़ारा भत्ता मांग सकती हैं। कोर्ट आपके पति की आमदनी और जीवनशैली को देखकर तय करता है कि आपको कितना भत्ता मिलना चाहिए।