अगर आपको पुलिस की तरफ से बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है, तो घबराना स्वाभाविक है। बहुत से लोग सोचते हैं: क्या मैं किसी मुसीबत में हूँ? क्या हर बार जाना ज़रूरी है? क्या मैं मना कर सकता हूँ? क्या यह सब कानूनी है?
सच ये है कि भारतीय कानून के तहत पुलिस को जांच के कुछ अधिकार जरूर हैं, लेकिन उनके भी कुछ सीमाएं हैं। आम नागरिकों के पास भी अपने अधिकार होते हैं, जिन्हें कोई भी, यहां तक कि पुलिस भी, नजरअंदाज नहीं कर सकती। यह ब्लॉग समझाता है कि बार-बार पूछताछ के लिए बुलाना कितना सही है और ऐसे हालात में आपके कानूनी अधिकार क्या हैं।
पुलिस पूछताछ क्यों करती है?
पुलिस किसी भी मामले की जांच के दौरान पूछताछ करती है। आपको पूछताछ के लिए इन कारणों से बुलाया जा सकता है:
- गवाह के तौर पर, ताकि आप जो जानते हैं वो बता सकें,
- जांच में नाम आने पर, अगर आपका नाम किसी वजह से सामने आया हो,
- संदिग्ध के रूप में, अगर पुलिस को लगे कि आप किसी तरह से जुड़े हो सकते हैं।
लेकिन सिर्फ पूछताछ के लिए बुलाए जाने का मतलब ये नहीं कि आप दोषी हैं या आपके खिलाफ कोई केस है।
पुलिस पूछताछ का कानूनी आधार: कानून क्या कहता है?
धारा 179 BNSS – गवाहों को बुलाने का अधिकार
- पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुला सकते हैं यदि वह व्यक्ति मामले के तथ्यों से परिचित है।
- महिलाओं, 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों, 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों, और मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों को उनके निवास स्थान से बाहर बुलाना नहीं जा सकता।
- यदि बुलाने का आदेश किसी अन्य स्थान पर है, तो पुलिस को उस व्यक्ति के यात्रा खर्चों का भुगतान करना होगा।
धारा 180 BNSS – गवाहों के बयान दर्ज करना
- जांच के दौरान पुलिस किसी व्यक्ति से मौखिक रूप से बयान ले सकती है यदि वह व्यक्ति मामले के तथ्यों से परिचित है।
- व्यक्ति को ईमानदारी से सभी सवालों के जवाब देने चाहिए, सिवाय उन सवालों के जिनसे उसके खिलाफ आपराधिक मामला बन सकता हो।
- पुलिस अधिकारी बयान को लिखित रूप में दर्ज कर सकते हैं।
- महिला से जुड़े यौन अपराध के मामलों में, उसका बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही लिया जाएगा, यह प्रावधान संवेदनशीलता और सम्मान को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
धारा 35(3) BNSS – आरोपी को नोटिस द्वारा बुलाना
- यदि गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है, तो पुलिस आरोपी को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुला सकती है।
- नोटिस में पूछताछ का कारण, तारीख, समय, और स्थान स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए।
- यदि व्यक्ति नोटिस का पालन नहीं करता है, तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है।
पुलिस आपको बार-बार फोन करके बुला नहीं सकती। मौखिक अनुरोध कानूनी रूप से मान्य नहीं होता। यदि पुलिस आपको पूछताछ के लिए बुलाना चाहती है, तो उन्हें एक लिखित नोटिस भेजना आवश्यक है। यह नोटिस आपको यह बताता है कि आपसे क्यों पूछताछ की जा रही है और आपको कब और कहां आना है।
क्या बार-बार बुलाना कानूनी है?
कब ये कानूनी हो सकता है:
- अगर जांच में और जानकारी की जरूरत हो।
- अगर आपने अधूरी या गलत जानकारी दी हो।
- अगर नई जानकारी सामने आई हो और पुलिस को आपका फिर से बयान चाहिए हो।
- अगर आप अहम गवाह या संदिग्ध हैं और केस में नए पहलू सामने आ रहे हों।
कब ये अवैध या उत्पीड़न हो सकता है:
- अगर बार-बार पूछताछ करने का कोई सही कारण नहीं है।
- अगर आपको बिना लिखित नोटिस के बुलाया जा रहा हो।
- अगर आपको बिना नए कारण के रोज़ या बहुत बार बुलाया जा रहा हो।
- अगर पूछताछ अपमानजनक या मानसिक दबाव देने वाली हो।
पुलिस पूछताछ के दौरान आपके कानूनी अधिकार क्या हैं?
- सम्मान के साथ पेश आने का अधिकार: आप एक नागरिक हैं, और पुलिस को आपको इज़्ज़त से पेश आना चाहिए। वे आपको गाली नहीं दे सकते, धमका नहीं सकते या ज़बरदस्ती कबूलनामे के लिए मारपीट नहीं कर सकते।
- पूछताछ का कारण जानने का अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अनुसार, आपको यह जानने का पूरा हक़ है कि पुलिस आपको क्यों बुला रही है। आप उनसे केस और आपकी भूमिका की जानकारी मांग सकते हैं।
- वकील रखने का अधिकार: BNSS की धारा 38 कहती है कि आप पूछताछ के समय अपने वकील को साथ ला सकते हैं। अगर आपको डर या परेशानी लगे, तो वकील के साथ ही थाने जाएं।
- चुप रहने का अधिकार: आप हर सवाल का जवाब देने के लिए मजबूर नहीं हैं, खासकर अगर वह जवाब आपके खिलाफ जा सकता है। अनुच्छेद 20(3) आपको खुद के खिलाफ बयान देने से बचाता है। आप कह सकते हैं: “मैं बिना वकील से बात किए इसका जवाब नहीं दूंगा।“
यदि आप पुलिस पूछताछ से परेशान महसूस करते हैं तो क्या करें?
- लिखित नोटिस माँगें: पुलिस से हमेशा लिखित में नोटिस माँगें। इससे बिना वजह बुलाने से आपकी सुरक्षा होगी।
- सब कुछ रिकॉर्ड रखें: पुलिस से हुई हर कॉल, मैसेज और मीटिंग की जानकारी लिखकर रखें। अगर ज़रूरत पड़े तो यह सब आपके पक्ष में सबूत बन सकता है।
- वकील से सलाह लें: गिरफ्तारी से पहले भी आप वकील से मिल सकते हैं। वकील आपको बताएगा कि क्या बोलना है और क्या नहीं। इससे आप गलती से भी कुछ उल्टा ना बोलें।
- शिकायत करें: अगर पुलिस गलत तरीके से पेश आ रही है, तो आप इन जगहों पर शिकायत कर सकते हैं:
- अपने ज़िले के पुलिस अधीक्षक (SP) को,
- राज्य मानवाधिकार आयोग को,
- या सीधे हाई कोर्ट में सुरक्षा की मांग करते हुए रिट याचिका दायर कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले
गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी देना अनिवार्य
2025 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी देना संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत एक मौलिक अधिकार है। यदि पुलिस ऐसा नहीं करती, तो गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी और बाद की कानूनी प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है।
आरोपी के अधिकारों को प्राथमिकता
2023 में, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी के निष्पक्ष न्याय का अधिकार पुलिस अधिकारियों की गोपनीयता के अधिकार से ऊपर है। इसलिए, पुलिस अधिकारियों के कॉल डिटेल्स और लोकेशन रिकॉर्ड्स को न्यायिक प्रक्रिया में प्रस्तुत किया जा सकता है।
पुलिस उत्पीड़न पर सख्त दिशा-निर्देश
2023 में, मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस द्वारा पूछताछ के नाम पर उत्पीड़न के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि यदि पुलिस उत्पीड़न करती है, तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा और उचित कार्रवाई करेगा।
पुलिस जांच के लिए मानक प्रक्रिया की आवश्यकता
2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस जांच के लिए एक मानक प्रक्रिया (कोड ऑफ इन्वेस्टिगेशन) बनाने की आवश्यकता जताई। कोर्ट ने कहा कि बिना वैज्ञानिक जांच के दोषियों को सजा नहीं मिल पाती, जिससे न्याय व्यवस्था कमजोर होती है।
पुलिस शक्ति के दुरुपयोग पर ‘शून्य सहनशीलता’ नीति
2025 में, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस बलों द्वारा शक्ति के दुरुपयोग पर ‘शून्य सहनशीलता’ नीति अपनाने की बात कही। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए और पुलिस को संविधान के तहत काम करना चाहिए।
निष्कर्ष
पुलिस पूछताछ कानून का हिस्सा है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। अगर पुलिस बार-बार बिना वजह बुला रही है, दबाव बना रही है या डराने की कोशिश कर रही है, तो यह आपके अधिकारों का उल्लंघन है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। आप अपने अधिकार जानें, स्थिति को समझें और वकील की सलाह लेकर सही कदम उठाएं।
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FAQs
1. क्या मैं पुलिस की पूछताछ को पूरी तरह मना कर सकता हूँ?
अगर आप केवल गवाह हैं और कारण स्पष्ट नहीं है, तो आप लिखित में मना कर सकते हैं या वकील के माध्यम से जवाब दिलवा सकते हैं।
2. क्या पुलिस मुझे बिना FIR के भी बुला सकती है?
हाँ, यदि आप गवाह हैं या संदिग्ध हैं तो FIR के बिना भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
3. बार-बार बुलाने पर मुझे क्या सबूत इकट्ठा करना चाहिए?
हर नोटिस, कॉल रिकॉर्ड, मैसेज या लिखित आदेश संभाल कर रखें।
4. क्या मुझे वकील के बिना पूछताछ में जाना चाहिए?
यदि आप आरोपी या संदिग्ध हैं, तो वकील के बिना न जाएं।
5. क्या महिला को पुरुष पुलिस द्वारा अकेले बुलाना सही है?
नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विरुद्ध है। महिला अधिकारी की उपस्थिति जरूरी है।