क्या कोर्ट पुलिस की मौजूदगी में सुलह करवा सकता है?

हमारे बेटे की पत्नी अपनी मर्जी से घर छोड़कर चली गई है। उसने हमारे बेटे के खिलाफ धारा 125 CrPC, 498A IPC और घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत शिकायत दर्ज करवाई है। 498A के केस में मेरा, मेरी पत्नी, मेरी बेटी और बेटे का नाम शामिल किया गया था, लेकिन जांच अधिकारी (IO) ने मेरी बेटी का नाम जांच के दौरान हटा दिया है। लड़की के माता-पिता नहीं हैं, वह चार बहनें हैं। लेकिन मिडिएशन प्रक्रिया में सिर्फ वह स्वयं उपस्थित होती है, उसकी कोई बहन साथ नहीं आती। हमने बेटे के माध्यम से मिडिएशन कोर्ट में समाधान के लिए याचिका लगाई, लेकिन लड़की ने कहा कि मेरा बेटा उसे गाली देता था, और जब वह आखिरी बार घर आया, तब भी उसने उसे अपशब्द कहे। जबकि मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे घर में आज तक किसी ने किसी को गाली नहीं दी है। क्या हम कोर्ट में ऐसी कोई अर्जी दे सकते हैं, जिसमें निवेदन किया जाए कि कोर्ट एक महिला व एक पुरुष पुलिस अधिकारी (सिविल ड्रेस में) हमारे बेटे के साथ लड़की के पड़ोस में जाएं, और वहां स्थानीय बुजुर्गों की मौजूदगी में लड़की से बातचीत कर उसका पक्ष समझें, ताकि उसे समझा-बुझाकर घर वापसी के लिए प्रेरित किया जा सके? साथ ही, यह पूरी प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्ड की जाए ताकि कोर्ट के पास इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सके। इससे मूल समस्या को समझा जा सके और यदि संभव हो, तो पति-पत्नी के बीच सुलह कराई जा सके।

1 Answer
Only verified advocates can give an answer Sign In
Admin
Advocate By LEAD INDIA Answered: 25 Aug 2025

कोर्ट पुलिस को आपके बेटे के साथ बेटी के घर भेजने की इजाज़त नहीं देगी, क्योंकि इससे उसकी आज़ादी पर असर पड़ता है। समझौता और काउंसलिंग ही सही तरीका है। आपका बेटा झूठे आरोपों से इनकार करते हुए लिखित में जवाब दे सकता है, सबूत दे सकता है और धारा 9 (हिंदू विवाह अधिनियम) के तहत अधिकार भी मांग सकता है। ध्यान समझौते और कानूनी रास्तों पर होना चाहिए, जबरदस्ती मेल-मिलाप पर नहीं। अधिक कानूनी सहायता के लिए हमारी हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।

24x7 Help

If we fall short of your expectation in any way, let us know

Payment Trust

All refunds come with no questions asked guarantee

Talk to Lawyer

Talk Now